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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अचानक बिना किसी विशेष सुरक्षा के दिल्ली के शीश गंज गुरुद्वारा साहिब पहुंचे। पीएम मोदी ने गुरुतेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारे में माथा टेका। पीएम मोदी यहां गुरुद्वारा प्रबंधन के लोगों के साथ भी मुलाकात की। पीएम जिस समय गुरुद्वारे में पहुंचे उस समय गुरुद्वारे में करीब 100 से अधिक लोग मौजूद थे।

    प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, मोदी जिस समय गुरुद्वारा गए, उस समय सड़कों पर किसी तरह का पुलिस बंदोबस्त नहीं किया गया था और आम लोगों की सुविधा को देखते हुए ना ही अवरोधक लगाए गए थे। पीएम मोदी ने गुरुद्वारे में मत्था टेका और प्रर्थना की।

    दौरे से पहले सोशल मीडिया पर साझा किया था शुभकामना संदेश

    इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती पर राष्ट्र को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनका बलिदान कई लोगों को शक्ति और प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “400 वें प्रकाशोत्सव के विशेष अवसर पर, मैं श्री गुरु तेग बहादुर जी को नमन करता हूं। उनके साहस और दलितों की सेवा के उनके प्रयासों के लिए उन्हें विश्व स्तर पर सम्मानित किया जाता है। उन्होंने अत्याचार और अन्याय के लिए झुकने से मना कर दिया था। उनके सर्वोच्च बलिदान से ताकत और प्रेरणा मिलती है’।

    400वें प्रकाश पर्व को धूमधाम से मनाने का किया था फैसला

    गुरु तेग बहादुर सिख धर्म के नौवें गुरु थे। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 8 अप्रैल को कहा था कि श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400 वें प्रकाश पर्व का अवसर एक आध्यात्मिक सौभाग्य के साथ-साथ राष्ट्रीय कर्तव्य भी है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान यह बयान दिया था।

    क्यों आस्था का केंद्र है शीशगंज गुरुद्वारा

    बताया जाता है कि इस्लाम धर्म न ग्रहण करने पर मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर गुरु तेग बहादुर के साथ उनके अन्य शिष्यों का गला काटा गया था। इससे पहले भी औरंगजेब ने धर्म परिवर्तन को लेकर गुरु तेग बहादुर को कई तरह के प्रलोभन दिए थे। गुरु के सामने ही उनके शिष्यों की बेरहमी से हत्या कर डराने की कोशिश भी की गई थी। लेकिन इसके बाद भी गुरु तेग बहादुर अपने कर्तव्य पथ से नहीं हटे और उन्होंने कहा था कि शीश कटा सकते हैं, पर केश नहीं। इसी के चलते यह गुरुद्वारा दुनियाभर में श्रद्धा का विषय है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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