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    नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प

    प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की यात्रा से पूर्व दोनों देश क्यापार समझौते के काफी नजदीक पंहुच जायेंगे। अमेरिका के अधिकारियो और उद्यमियों के हवाले रिपोर्ट में बताया कि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रोबर्ट लाइटज़ेर की टीम इस सप्ताह समझौते के बारे में चर्चा के लिए जा रहे हैं।”

    एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि “मैं दोनों पक्षों की तरफ से व्यापार अधिकारियो के बीच तीव्रता से चर्चा की पुष्टि कर सकता हूँ। एक ट्रेड पैकेज के बारे में वार्ता जारी है।” एक विश्लेषक के मुताबिक, भारत के लिए जनरल स्कीम फॉर प्रैफरेंसेज को बहाल करने पर कार्य किया जा रहा है। इस स्कीम की जून में रद्द कर दिया गया था।

    अमेरिका-भारत कारोबारी समझौता

    उन्होंने कहा कि “इसके बदले में मोदी अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत के कुछ सेक्टर में कार्य करने को सुगम बनाने के लिए हामी भर सकते हैं। यह प्रस्ताव अंतिम समझौते के के फ्रेमवर्क के तहत हो सकता है जिस पर नवम्बर में दस्तखत किये जायेंगे। अगर ट्रम्प भारत की यात्रा करेंगे।

    भारत के वाणिज्य मंत्री पियोश गोयल ने भी जल समाधान का संकेत दिया है। उन्होंने सोमवार को कहा कि “हम बीते कई महीने से अमेरिका के साथ निरंतर जल्द समाधान के लिए कई मामलो पर बातचीत कर रहे हैं। लेकिन अंतिम निर्णय मोदी और ट्रम्प पर निर्भर करेगा।”

    रविवार को ह्यूस्टन में पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प मुलाकात करेंगे। दोनों नेता भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित हाउडी मोदी सम्मेलन में शामिल होंगे। भारत के साथ व्यापार समझौता या आंशिक समझौता ट्रम्प के लिए राहत हो सकता है जिनके चीन, यूरोपी संघ और अन्यो के सतह व्यापार विवाद चल रहा है।

    ट्रम्प प्रशासन पर दबाव डालने के लिए 44 अमेरिकी सांसदों ने भारत के लिए जीएसपी दर्जे को बहाल करने की मांग की है। इसके तहत भारत 5.6 अरब डॉलर तक के उत्पाद को अमेरिका में निशुल्क आयात कर सकता था। लाइटजेर को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि इसके रद्द होने से अमेरिका का कारोबार प्रभावित हुआ है।

    एक रिपब्लिकन रोन एस्टेस और डेमोक्रेट जिम हिमेस ने इस पत्र अभियान की शुरुआत की थी इस पर 26 डेमोक्रेट्स ने और 18 रिपब्लिकन ने दस्तखत किये थे। खत के मुताबिक, जीएसपी की सुविधाओं के रद्द होने के बाद अमेरिका कंपनियों को प्रस्तावित निवेश पर आगे बढ़ने या बाज़ार तक पंहुच में विस्तार करने की कोशिश विफल हो रही है।

    सालो से जो कंपनियां शुल्क मुक्त आयात का लुत्फ़ उठा रही थी अब उन्हें सिर्फ दो महीनो में लाखो रूपए देने पड़े हैं। भारत के अतिरिक्त शुल्क और पाबंदियो से अमेरिका का कारोबार प्रभावित हुआ है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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