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    भारत चीन

    भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस साल की शुरूआत में अरूणाचल प्रदेश के दौरे पर जा सकते है। चीन द्वारा अरूणाचल प्रदेश में किसी भी भारतीय नेता व बड़े अधिकारियों का दौरा करने पर कड़ा ऐतराज जताया जाता है। लेकिन संभावना है कि पीएम मोदी चीन के सभी विरोधों को दरकिनार कर उसे मजबूत संदेश देने के लिए अराणाचल प्रदेश का दौरा कर सकते है।

    हालांकि पीएम मोदी के अरूणाचल दौरे की तिथि निश्चित नहीं हुई है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने हाल ही में नई दिल्ली में मुलाकात के दौरान पीएम मोदी के दौरे को लेकर चर्चा की थी।

    इससे पहले साल 2017 के नवंबर व दिसंबर महीन में भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अलग-अलग अरूणाचल प्रदेश का दौरा किया था। इनके दौरे के बाद चीन की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई थी।

    इस पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि चीन को भारत से आशा है कि वो दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को कठिनाई प्रदान न करे, वो भी ऐसे समय पर जब दोनों देशों के बीच में द्विपक्षीय संबंध महत्वपूर्ण स्तर में है।

    अरूणाचल में भारतीय नेता के दौरे पर विरोध जताता है चीन

    दरअसल चीन द्वारा भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य के कुछ हिस्सों पर अपना दावा जताया जाता है। इससे पहले जब दलाई लामा ने अरूणाचल प्रदेश का दौरा किया था तो चीन ने काफी नाराजगी व्यक्त की थी।

    पीएम मोदी ने साल 2015 में अरूणाचल प्रदेश की यात्रा की थी और साल 2016 में अमेरिकी राजदूत ने भी यात्रा की थी। इन यात्राओं के समय भी चीन ने मजबूत विरोध किया था।

    मोदी सरकार में ही नहीं बल्कि जब पहले यूपीए सरकार थी उस समय भी चीन ने भारत के किसी भी नेता के अरूणाचल दौरे पर ऐतराज ही जताया है।

    अरूणाचल प्रदेश को हड़पना चाहता है चीन

    चीन-भारतीय सीमा विवाद के केंद्र में अरुणाचल प्रदेश (90,000 वर्ग किमी) का विवादित मुद्दा है, जिसे चीन “दक्षिणी तिब्बत” के रूप में वर्णित करता है। चीन की मांग है कि अगर भारत पूरा हिस्सा नहीं देना चाहता है तो हमें तवांग ही स्थानांतरित कर दिया जाए।

    लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि अरुणाचल प्रदेश में कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। भारत ने साफ कहा है कि वो तवांग को भी चीन को नहीं देगा। पूरा अरूणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है।