असम में एनआरसी के बाद अरुणाचल प्रदेश में छ: समुदायों को सरकार ने स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (पीआरसी) देने की बाद की। जिससे राज्य भर में अशांति का महौल बन गया है। हिंसा रोकने के लिए वहां सेना के जवानों की मदद लेनी पड़ रही है। रविवार को वहां भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी जिसमें दो स्थानीय लोगों की जान चली गई।
रविवार शाम को प्रदर्शनकारी राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडु के ईटानगर स्थित निवास पर पत्थरबाजी कर रहे थे, तब पुलिय को फायरिंग करनी पड़ी। इसमें 24 पुलिसकर्मी समेत 35 स्थानीय लोग घायल हुए। तकरीबन 200 से ज्यादा गाड़ियां जला दी गई हैं। सरकार ने फिलहाल पीआरसी को स्थगित करने के बारे में सोच रही है।
मामले पर पेमा खांडु का कहना है कि “उनकी ओर से सबकुछ स्पष्ट है तब भी घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने जांच के आदेश दे दिए हैं। आयुक्त स्तर पर एक जांच कमिटी भी गठित की गई है। उनके अनुसार हिंसा में बाहरी लोगों का हाथ हैं, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश एक शांति पसंद राज्य है।”
उपद्रवकर्ताओं ने रविवार को उप-मुख्यमंत्री चौना मेन के घर को भी आग लगा दिया था। इसके अलावा उन्होंने जिला आयुक्त निवासों को भी अपना शिकार बनाया है।
ज्ञात हो कि बीते शनिवार को प्रशासन ने ईटानगर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू भी लगा दिया है। केंद्र सरकार ने भी प्रशासन की मदद के लिए राज्य में 1 हजार अद्धसैनिक बलों को भेजा है।
अरुणाचल प्रदेश की बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर मुख्य सचिव सत्यगोपाल ने एक बयान में कहा कि,“वर्तमान स्थिति को देखते हुए नम्साई और चांगला जिले के गैर-अरुणाचल प्रदेश समुदायों को पीआरसी के अनुदान से संबंधित मामले के संबंध में राज्य सरकार ने निर्णय नहीं लिया है। पीआरसी के अनुदान के संबंध में आगे की कार्रवाई जल्द की जाएगी।”
पीआरसी देने की बात पिछले साल दिसंबर में राज्य सरकार पेमा खंडू और मीन ने की थी। उन्होंने कहा था कि चंगलांग में रहने वाले मोरन, देउरी, मिशिंग, सोनोवाल, आदिवासी जनजातियों और पूर्व सैनिकों सहित छह समुदायों के लोग और 1968 से पहले के नामसाई जिलों को ‘न्यू ईयर गिफ्ट’ के रूप में पीआरसी दी जाएगी।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तकाल संजोय ने भाजपा पर आरोप लगाया कि,”भाजपा अपने वोट बैंक के लिए उत्तरी-पूर्वी भारत में अव्यवस्था को लगातार बढ़ावा दिए जा रही है।”