भारतीय महिला टी-20 टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर इस समय टखने की चोट के कारण इंग्लैंड के खिलाफ वनडे और टी-20 सीरीज से बाहर चल रही है। मोगा, पंजाब की यह आक्रमक शॉर्ट लगाने वाली खिलाड़ी अपने गगनचुंबी छक्को से विश्व भर में दर्शको का मनोरंजन करती आई है। क्रिकेटनेक्स्ट के साथ बातचीत में, वह बोलती है कि कैसे उनके पिता ने उन्हे नियमित रूप से छक्के मारने के लिए प्रभावित किया, अंजुम चोपड़ा ने कैसे उनके करियर बनाने में उनकी मदद की और नए कोच डब्ल्यूवी रमन के साथ अपने विचारो के बारे में बात की।
आप चोट से कितना उबर चुके हैं और टीम में कब वापस आने की संभावना है?
अभी इसमे कुछ और दिन लगेंगे और मैं फिट होकर जल्द ही टीम से खेलना चाहती हूं।
विश्व भर में आपकी पहचान 2017 में हुई लेकिन हम 2009 विश्वकप के बारे में बात करते है। जब अंजुम चोपड़ा ने आपको ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बल्लेबाजी करने के लिए भेजा था और आपने 9 गेंदो में 18 रन की पारी खेली थी, जिसमे गंगनचुंबी छक्के लगाए थे। यह छक्के इतने लंबे थे कि प्राधिकारियो ने आपको डोप टेस्ट के लिए भेजा, कि एक लड़की इतने बडे़ छक्के कैसे लगा सकती है? इसके बाद तुम्हारा बैट टेस्ट भी किया था, इस कहानी में कितनी सच्चाई है और हमे इसके बारे में विस्तार में बताईए।
वह मेरा पहला वनडे क्रिकेट विश्व कप था और मैं बहुत चिंतित थी क्योंकि मैं टीम में कई स्टार बल्लेबाजो के साथ खेल रही थी; इसमे कुछ ऐसे खिलाड़ी भी थे, जिन्हे मैंने केवल टीवी में देखा था। मैं बस उस वक्त अंजुम चोपड़ा के करीब थी, उन्होने मेरा करियर बनाने में मेरी मदद की है। उन्होने मुझसे पूछा, क्या तुम बल्लेबाजी करने के लिए तैयार हो? और मैंने उस समय सिर्फ यह कहा यह मेरा बल्लेबाजी नंबर नही है, उससे एक रात पहले तक मुझे लग रहा था कि मुझे नंबर 9 पर बल्लेबाजी करने भेजा जाएगा। उन्होने जबाव दिया ‘ मुझे लगता है तुम्हे जाना चाहिए क्योंकि यह परिस्थिति तुम्हारे लिए परफेक्ट है। मैं कोच से बात करती हूं तुम तब तक तैयार हो जाओ। मैंने अंजुम से दोबारा पूछा क्या तुम यह सच में चाहती हो , उन्होने कहा हां और मेरा तुम्हारे ऊपर विश्वास है जाओ और पैड पहनो।’ उसके बाद मैं मैदान में बल्लेबाजी करने गई और अमिता शर्मा पहले से वहा बल्लेबाजी कर रही थी और अच्छे शॉर्टस् खेल रही थी और फिर वहा उन्होने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया और कहा कि तुम कर सकती हो अपने आप पर विश्वास रखो। सबकुछ अच्छा हो रहा था और फिर हम दोनो ने एक अच्छी साझेदारी की।
लेकिन छक्के लगाने के बाद क्या हुआ? क्या वे वास्तव में आपको डोप टेस्ट के लिए ले गए थे?
हाँ। डोप परीक्षण नियमित रूप से किए जाते थे इसलिए मैच के बाद उन्होंने 2-3 खिलाड़ियों का चयन किया; उस पारी के बाद यह मेरे लिए पहली बार था। मुझे तुरंत डोप टेस्ट के लिए जाने का बुलावा मिला और मैं सोच रही था कि क्या हो रहा है और मुझे बताया गया कि ‘ऐसा तब होता है जब कोई नया आता है और असाधारण प्रदर्शन करता है’।
आपकी कहानी साधारण नहीं है, आप मोगा, पंजाब से आती हैं और आपने वहां खेलना शुरू किया; आपके पिता चाहते थे कि आप खेलें और यह एक बहुत अच्छी कहानी है। यह हमेशा से रहा है कि केवल पुरुष छक्के मारेंगे; लड़कियाँ नहीं कर सकती क्या यह कुछ ऐसा था जो आपने बचपन से ‘मैं एक लड़की हूं लेकिन मैं हिट कर सकती हूं’ के विचार के साथ काम किया हो?
मेरा पापा भी क्रिकेट खेलना पसंद करते थे, वह ओपनर हुआ करते थे और वह ज्यादातर छक्के लगाया करते थे। मैं भी उनकी तरह छक्के लगाना चाहती थी और उनसे कहती थी पापा क्या मैं भी कभी छक्के लगा पाऊंगी। तो उन्होने मुझे कहा तुम खेलो में तुम्हे देखूंगा। जब मैं छोटी थी तो मेरे पास ज्यादा जान नही थी लेकिन मुझे लगता था कि मैं भी एक दिन इनकी तरह छक्के लगा पाऊंगी। तो पहली बार जब मैंने उनके साथ खेला तो हम टेनिस गेंद से क्रिकेट खेल रहे थे, जब मैंने छक्का मारा तो सब हैरान रह गए। मैं अपने पापा की टीम से खेलती तो और वह आखिरी की कुछ गेंदे मुझे खेलने को देते थे।
उन दो-तीन गेंदो में हमे 6 रन चाहिए थे, तो मैंने पहली गेंद में छक्का लगाया था और हमने मैच जीता था। उसके बाद सभी हैरान रह गए थे और मेरा आत्मविश्वास बढ़ा की मैं छक्के लगा सकती हूं। तब मैंने यह भी सोच लिया था कि मैं केवल छक्के ही मारूंगी।
आपके नए कोच डब्ल्यूवी रमन कैसे है, और वह रमेश पोवार से कैसे सामान्य और अलग है?
कोच दोनो एक जैसे है। जब हमारे पास रमेश पोवार थे, वह बहुत कठिन परिश्रम करवाते थे और बहुत कुछ सीखाते थे। उनके आने से हमे कई चीजो के बारे में पता लगा था। उससे पहले हमारी रणनीति सीमित थी, हम उस समय केवल एक अंदाज के साथ खेलते थे, तो फिर जब वह आए उन्होने इसमें बदलाव किया और हमें तीन महीनो में बदलाव दिखा। उससे पहले कभी ऐसा आत्मविश्वास नही मिला जो टी-20 विश्व कप के दौरान मिला था, उनकी तीन महीनो की महनत रंग लगाई और हमे अच्छे परिणाम मिले। रमन भी अच्छे कोच है, वह एक ठंडे दिमाग के है और बहुत अनुभवी है। तो अभी तक उनके साथ बहुत अच्छा काम रहा है क्योंकि वह बहुत अनुभवी है। उनके लिए गए निर्णय खिलाड़ियो के जीवन में बहुत महत्व रखेंगे क्योंकि वह अच्छी चीजे पकड़ते है। मुझे लगता है उनका अनुभव हमें एक लंबे समय तक याद रहेगा।
आखिरी सवाल, हर कोई आपकी 171 रन की पारी अपने शब्दो में बताता है। आपका इसका विस्तार कैसे करेंगी?
यह केवल एक ऐसी पारी नही है जिसने मेरे करियर में बदलाव किया हो बल्कि इससे लोग महिला क्रिकेट भी देखने लगे है।