कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी सदस्यों को संदेश दिया कि कड़ी मेहनत करने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा और कट्टरपंथियों से सख्ती से निपटा जाएगा। राजस्थान के नेताओं और पर्यवेक्षकों के साथ कई बैठकों के बाद, राहुल गांधी ने राजस्थान में गहलोत की टीम को अंतिम रूप दिया। सोमवार को गठबंधन के साथी राष्ट्रीय लोक दल के एक विधायक सहित सोमवार को 23 विधायकों ने मंत्रिपद की शपथ ली।
राजस्थान कैबिनेट का फैसला करते समय, ऑल इण्डिया कांग्रेस कमिटी के राजस्थान के महासचिव, अविनाश पांडे और सरकार के गठन के लिए राज्य के लिए कांग्रेस पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल भी प्रक्रिया में शामिल थे। कांग्रेस नेता ने कहा कि “कांग्रेस अध्यक्ष मंत्रिमंडल में नए चेहरों को प्रमुखता देना चाहते हैं। नए उर्जावान और पुराने अनुभव के समिश्रण के साथ राज्य की गाडी को पटरी पर लाया जाएगा।”
राहुल गांधी का इरादा अपनी पार्टी के लोगों को संदेश देना है कि पार्टी को नुकसान पहुँचाने की कोई भी हरकत बर्दास्त नहीं की जायेगी। कर्नाटक मंत्रिमंडल विस्तार राहुल के कार्यों का एक स्पष्ट उदाहरण है, जहां रमेश जारकीहोली सहित दो मंत्रियों को कांग्रेस से मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। जारकीहोली पर नेताओं के साथ कथित तौर पर सांठगाँठ और मंत्रिमंडल तथा पार्टी की मीटिंग से अनुपस्थिटी रहने के लिए कार्यवाई की गई।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष का संदेश स्पष्ट था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सूत्र ने कहा कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी राजस्थान फॉर्मूला का पालन करने की संभावना है। इस प्रक्रिया में शामिल एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने एएनआई को बताया, “राहुल गांधी की राय थी कि जिन लोगों ने पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है या पार्टी के एजेंडे को नजरअंदाज किया है, उन्हें माफ़ नहीं किया जाना चाहिए।
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में शानदार जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस का ध्यान 2019 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर तीनो राज्यों में मंत्रिमंडल के गठन पर है।