उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को कहा कि नोएडा पुलिस द्वारा मुस्लिम समुदाय के लोगों को एक सामुदायिक पार्क में नमाज अदा करने पर रोक लगाने का आदेश “भेदभावपूर्ण और गैर जिम्मेदाराना” है और इसका उद्देश्य 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा सरकार की विफलताओं को छुपाना है।
एक बयान में, मायावती ने कहा कि अगर सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक कार्यक्रमों को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के पास कोई नीति है तो इसे राज्य भर में लागू किया जाना चाहिए और सभी धर्मों के लोगों के लिए बाध्यकारी होना चाहिए।
उन्होंने कहा “अगर 2013 के बाद से सेक्टर 58 में उक्त पार्क में नमाज पढ़ी जा रही थी, तो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अब इसे क्यों रोका जा रहा है? इससे भाजपा सरकार की मंशा और डीम पर सवाल उठाना स्वाभाविक है कि यह धार्मिक भेदभाव पूर्ण व्यवहार है।”
मायावती ने कहा, “यह संदेह को भी जन्म देता है कि भाजपा सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने और लोगों का ध्यान हटाने के लिए धार्मिक विवाद पैदा कर रही है। यह निंदनीय है। भाजपा बेनकाब हो गई है।”
गौरतलब है कि नोएडा पुलिस ने कंपनियों को आदेश दिया है कि वो अपने मुस्लिम कर्मचारियों को सार्वजनिक पार्कों में नमाज पढने से रोक लगाए। पुलिस नोटिस में लिखा है: “हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि सेक्टर 58 में प्राधिकरण पार्क में शुक्रवार को नमाज अदा करने सहित किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि करने की प्रशासन की अनुमति नहीं है। आपसे यह अपेक्षा की जाती है कि आप अपने मुस्लिम कर्मचारियों को नमाज अदा करने के लिए पार्क में न आने के लिए सूचित करें। यदि आपकी कंपनी के कर्मचारी पार्क में आते हैं, तो यह माना जाएगा कि आपने अपने कर्मचारियों को सूचित नहीं किया है और आपकी कंपनी को उत्तरदायी ठहराया जाएगा।”
पुलिस के इस फरमान के बाद जहाँ विवाद पैदा हो गया है वहीँ पुलिस का कहना है कि ये प्रतिबन्ध सभी धर्म के लिए हैं।