आरक्षण के मुद्वे पर कांग्रेस और पाटीदार नेताओ के बीच हुई बैठक में सहमती नहीं बन पाई। तीन घंटे तक चली इस लम्बी बैठक में संवैधानिक तौर पर कांग्रेस किस तरह आरक्षण देगी, इसपर पाटीदार नेताओं ने सवाल उठाए। इसके बाद कांग्रेस की ओर से पाटीदारो से बात कर रहे कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को बाकी नेताओ के साथ अलग से बैठक करनी पड़ी। इस बैठक के नतीजे बेबाक होने के कारण अगली मुलाकात तक टाल दिए गए है।
गुजरात में शुरूआती दौर से ही रहे बीजेपी के वोट बैंक पाटीदार समाज के लोगो की नाराजगी भाजपा के खिलाफ साफ तौर पर दिख रही है। इसपर कांग्रेस अपनी पूरी कोशिश कर रही है ताकि पाटीदार समाज को अपनी ओर आकर्षित कर सके। क्योंकि गुजरात में 50 सीटों पर पाटीदारो का कब्ज़ा है, पाटीदारों की नाराजगी या समर्थन किसी भी पार्टी के गणित को बिगाड़ और सुधार सकती है। इसलिए कांग्रेस ने पाटीदारों को आरक्षण देने की सहमती जताई, जिसके कारण पाटीदार नेताओ ने मुलाकात के लिए हामी भरी थी।
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पाटीदार नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी क़ानूनी विषेशज्ञ और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को दी गई थी। बैठक के दौरान सिब्बल के साथ गुजरात प्रदेश के अध्यक्ष भी मौजूद थे। बैठक के दौरान पाटीदारों ने यह सवाल उठाया कि पहले कांग्रेस साफ करे कि संवैधानिक तौर पर हमें आरक्षण कैसे दिलाएगी। कांग्रेस के दिए फार्मूले पर सहमती नहीं बन पाई, जिसके कारण कांग्रेस और पाटीदारों के बीच अलग बैठक करनी पड़ी।
हालाँकि पाटीदार नेताओ ने कांग्रेस के साथ हुई इस बैठक को बेहद सक्रिय बताया। पाटीदार नेताओ ने कहा कि कांग्रेस ने हमें दो तीन विकल्प दिए है। जिस पर पहले हार्दिक पटेल और बाद में पाटीदार समाज से चर्चा करने के बाद यह फैसला लिया जायेगा कि हम समर्थन देंगे या नहीं।
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कांग्रेस की ओर से पाटीदारों को संवैधानिक तौर पर आरक्षण के लिए कानून में क्या प्रावधान किये जाये, इसके लिए पार्टी की तरफ से यह कार्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को सौपी गई थी। इस मुद्दे को लेकर सिब्बल ने कहा कि मैंने एक खाका तैयार कर पार्टी आलाकमान को भेज दी है, अब रिपोर्ट का आने का इंतजार है।
पाटीदारों ने आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस को अपना रुख साफ करने को कहा है। लेकिन इससे पहले एक बैठक होगी जो आरक्षण के मुद्दे को साफ करेगी। बैठक के बाद पाटीदार नेता अपना फैसला देंगे।