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    पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने ताकतवर सेना और आईएसआई को राजनीतिक गतिविधियों से दूरी बनाए रखने की हिदायत दी है। साथ ही अदालत ने आईएसआई सरकारी विभागों के लिए बनाये गए कानूनों के तहत कार्य करने के आदेश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही आतंकवाद, घृणा और चरमपंथ फैलाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश जारी किए है।

    साल 2017 में फैज़ाबाद में तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान और अन्य छोटे समूहों द्वारा हुए धरना प्रदर्शन के मामले को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने यह फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश  काजी फ़ैज़ ईशा और मुशीर आलम की पीठ ने कहा कि हम केंद्रीय व प्रांतीय सरकार को देश में चरमपंथ, आतंकवाद और घृणा फैलाने लोगो पर निगाह बनाये रखने के आदेश देते हैं। हम दोषियों को कानून के तहत सज़ा देने का आदेश देते हैं।

    शीर्ष अदालत ने सेना द्वारा संचालित की जा रही आईएसआई और अन्य सरकारी विभागों को तय कानून के तहत कार्य करने की हिदायत दी है। अदालत ने सेना को उन राजनीतिक गतिविधियों से दूरी बरकरार रखने का आदेश दिया है जो किसी राजनीतिक गुट, व्यक्ति या समूह का समर्थन करता हो। पाक जानकारों के मुताबिक सेना ने इमरान खान को बीते चुनावों में समर्थन किया था। पाकिस्तान को सेना पर अक्सर शासन करने के आरोप लगाए जाते हैं।

    साल 1947 में हिंदुस्तान का बंटवारा हुआ था और पाकिस्तान मुल्क का निर्माण हुआ था। तबी से पाक में सेना काफी प्रभावशाली रही है। पाकिस्तानी सेना देश के बड़े फैसलों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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