पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार की मुश्किलें बढ़ चुकी है। कोर्ट में लगातार उपस्थित नहीं होने की वजह से पाकिस्तान की कोर्ट ने इशाक डार को भगौड़ा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए है।
जवाबदेही कोर्ट के जज मोहम्मद बशीर ने मंगलवार को इस मामले में सुनवाई की। इस दौरान इशाक डार के वकील ने जज के सामने उनके हाजिर नहीं होने की काफी दलीलें दी। लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों को दरकिनार कर दिया।
गौरतलब है कि इशाक डार इस समय लंदन में है। जानकारी के मुताबिक वे लंदन में अपनी बीमारी का इलाज करवा रहे है। कोर्ट ने डार के पेश नहीं होने पर जमानतदार अहमद अली कुदूसी को 50 लाख रुपये की जमानत राशि जब्त करने संबंधी नोटिस जारी किया। उनसे 24 नवंबर तक इस बारे में जवाब मांगा गया है। कोर्ट अब इस मामले में अगली सुनवाई चार दिसंबर को करेगा।
पनामा पेपर्स मामले में इशाक डार पर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी के चलते अब उनका पद खतरे में है। पनामा पेपर्स मामल में नवाज शरीफ का नाम आने पर उन्हें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद को गंवाना पड़ा था।
रिक्त होने वाले पाकिस्तान के वित्त मंत्री के लिए लॉबिंग शुरू भी हो गयी है। जानकारी के अनुसार पाक वित्त मंत्री इशाक डार की जगह वित्त सलाहकार या किसी पूर्ण मंत्री को इस पद पर लगाया जा सकता है।
लेकिन इसके लिए वो व्यक्ति पाकिस्तान की संसद का सदस्य होना चाहिए। वित्त मंत्री को हटाने का प्रस्ताव काफी गंभीर रूप से विचाराधीन है।
अगले वित्त मंत्री के लिए लॉबिंग हुई शुरू
पाकिस्तान के वित्त मंत्री के लिए दो प्रमुख नाम सामने आए है जो इस पद के दौड में है। पाक वित्त मंत्री पद के लिए प्रधानमंत्री के आर्थिक मामलों के विशेष सहायक मिफ्ता इस्माइल और आंतरिक मंत्री अहसान इकबाल का नाम भी चर्चा में है।
इसके अलावा पाकिस्तान के वित्त मंत्री का चयन करने के लिए दो नाम सामने आ रहे है। पहला नाम पूर्व वित्त मंत्री शौकत टेरिन का है। वहीं दूसरा नाम स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पूर्व चेयरमैन डॉ. इशरत हुसैन का है। हो सकता है कि इन्हें भी वित्त मंत्री का पद दिया जाए।
अभी तक की मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के अगले वित्त मंत्री के लिए दोनों में से किसी एक के नाम पर मोहर लग सकती है।
इसके अलावा शौकत टेरिन ने कहा है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को ट्रैक पर वापस लाने के लिए वित्त मंत्री पद पर सही चयन करने की आवश्यकता है। टेरिन ने कहा कि वो इस मामले में मदद कर सकते है लेकिन वित्त मंत्री या सलाहकार के तौर पर नहीं।