कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस्लामाबाद से नई दिल्ली के आंतरिक मामले में दखल न देने की चेतावनी दी थी और इसके जवाब में पाक के तकनीक मंत्री फवाद चौधरी ने मंगलवार को कांग्रेस नेता को उनके परदादा मोतीलाल नेहरु के कदमो पर चलने की सलाह दी थी।
जम्मू कश्मीर के सम्बन्ध में यूएन में याचिका को संबोधित करते हुए गांधी का नाम जबरन घसीट दिया था। इस्लामाबाद ने अंतरराष्ट्रीय संस्था के समक्ष याचिका दायर की थी और कहा कि घाटी में लोग मर रहे हैं। पाकिस्तानी दावो के प्रतिकार में राहुल ने कहा कि “वह सरकार के साथ कई मामलो पर असहमत हो सकते हैं लेकिन केंद्र का इसमें समर्थन करते हैं। जम्मू कश्मीर नई दिल्ली का अंदरूनी मामला है।”
इसके जवाब में हुसैन ने कहा कि “आपकी राजनीति की सबसे बड़ी समस्या असंजस है। असलियत को समझकर पक्ष ले और अपने परदादा की तरह स्थिर खड़े रहे जो भारत में सहिष्णुता और उदारवाद सोच के प्रतिक थे।”
पाकिस्तान में मानव अह्दिकार मंत्री शरीन मजारी ने कहा कि उन्होंने कश्मीर म,मामले पर यूएन को ख़त लिखा है। मजारी ने पत्र में लिखा कि “मुख्यधारा के राजनेताओं को भी हिंसा के कृत्यों का इल्म है जैसे कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी जिन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर में लोग मर रहे हैं, वहा गलत किया जा रहा है।”
राहुल गांधी से पहले, पार्टी के कई वरिष्ठ नेता जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया, जनार्दन द्विवेदी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा, उत्तर प्रदेश की विधायक अदिति सिंह, मिलिंद देवड़ा, अनिल शास्त्री और अन्य ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने के सरकार के फैसले के समर्थन में बोला था।
राहुल गांधी को पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे झूठ और जानबूझकर गलत सूचना को सही ठहराने के लिए घसीटा गया है। दुनिया में किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं और हमेशा रहेंगे।