अमेरिका में शनिवार को ‘ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा’ के नेतृत्व में पाकिस्तान की आतंकवाद पर बनी राज्य नीति के विरोध में प्रदर्शन हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि “वे भारत के अंदर तक प्रवेश करना चाहते हैं और वैश्विक स्तर पर अपना जाल बुन रहे हैं।” पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के भाग पर अवैध कब्जे के मसले को भी प्रदर्शनकारियों ने उठाया और उस जमीन के कानूनी मालिक भारत को जल्द जमीन वापस सौंपने की मांग की।
ANI के मुताबिक इंडिया सोसाइटी इंटरनेशनल के दोस्तों के साथ इस प्रदर्शन का आयोजन करने वाले जीकेपिडी से मुन्नी मोहन ने कहा कि “इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन यानी जम्मू कश्मीर को भारत में मिलाने पर सहमति वाले दस्तावेज के मुताबिक जम्मू कश्मीर भारत का अंग है। पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के कई भागों पर अवैध कब्ज़ा ही एकमात्र अनसुलझा मसला है और उन क्षेत्रों को इसके असल मालिक भारत के सुपुर्द कर देना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि “जम्मू और लद्दाख के निवासी खुद को फक्र से भारतीय कहते हैं और कश्मीर के छोटे हिस्से में ही अस्थिरता बनी हुई है और यह सब सीमा पार आतंकवाद के कारण हो रहा है।”
प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तान को आतंक का गढ़ होने के नारे लगाए गए। पाकिस्तान कश्मीर के हिन्दुओं, सिखों के नरसंहार और संजातीय सफाया करने का गुनाहगार है। पाकिस्तान अपने अल्पसंख्यकों का ख्याल रखे। ऐसे ही कई नारे प्रदर्शनकारियों ने लगाए थे।
इस प्रदर्शन के आयोजनकर्ताओं में से एक अचलेश अमर ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “पाकिस्तान आतंकवाद शाखा है और पूरे विश्व में आतंक को फैलाता है, जो वैश्विक नागरिक समाज के लिए खतरा है। पाकिस्तान अल कायदा के नेताओं को आश्रय देता है। साल 2001 में अफगानिस्तान में तालिबान सरकार गिरने के बाद पाकिस्तान ने खूंखार आतंकवादियों को एकजुट किया और इस आतंक तंत्र को विश्व के विभिन्न भागों में भेजा था।”
उन्होंने कहा कि “ओसामा बिन लादेन अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले का रचियता था और वह पाकिस्तान के शहर में पूरे संरक्षण के साथ मिला था। साथ ही लंदन विस्फोट और आतंकी हमले में भी पाकिस्तान का हाथ था।”
वीना अम्बरदार ने कहा कि “साल 1988 में जिया उल हक़ के निरंकुश शासन में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर की शुरुआत की थी। इस अभियान का मकसद सीमा पार आतंकवाद को बढ़ाना और भारत में गुर्रीला युद्ध को भड़काना था और इस अभियान को पाकिस्तान के ख़ुफ़िया विभाग आईएसआई और आर्मी ने समर्थन दिया था।”
कारगिल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि “भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तानी समर्थित जिहादियों, पाक ख़ुफ़िया विभाग और आर्मी के बीच संबंधों को उजागर किया था। इस प्रॉक्सी वॉर में भारत ने 6000 से अधिक सैनिकों को गंवाया है। पाकिस्तान ने शांतिप्रिय चार लाख कश्मीरी हिन्दुओं और सिखों का सफाया कर दिया था और भारत में शरणार्थी बनकर रहने पर मज़बूर कर दिया था।”