पाकिस्तान ने इस्लामिक कट्टरपंथियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। रायटर्स के मुताबिक सरकार ने ऐलान किया कि उन्होंने 182 मदरसों पर नियंत्रण कर लिया है। प्रतिबंधित समूह के खिलाफ कार्रवाई के लिए 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि “यह पुरानी नीति के तहत है।”
पाकिस्तान सरकार द्वारा अपनी सरजमीं पर संचालित आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई न करने पर भारत सरकार ने इस्लामाबाद की कई बार आलोचना की है। पुलवामा में आतंकी हमले के जिम्मेदार जैश ए मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाया गया था।
पाकिस्तान आंतरिक मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि “प्रांतीय सरकारों ने 182 मदरसों के प्रबंधन और प्रशासन को अपने नियंत्रण में ले लिया है। साथ ही विधि प्रवर्तन विभागों ने 121 लोगों को हिरासत में लिए हैं।”
पाकिस्तान में मदरसों के सतहकया किया जाए, यह बेहद कष्टदायक मसला है। एक मुस्लिम रूढ़िवादी राष्ट्र में मदरसों पर युवाओं को कट्टर बनाने का आरोप लगाया जाता है लेकिन लाखों गरीब बच्चों को शिक्षा के एकमात्र विकल्प यही है। जेईएम समेत कई प्रतिबंधित समूह मदरसों को चलाते हैं।
एक अन्य प्रतिबंधित समूह जमात उद दावा भी करीबन 300 मदरसों का संचालन करता है। जो खुद को इस्मालिक चैरिटी और व्यापक स्तर पर जनकल्याण अभियान चलाने वाले के रूप में पेश करता है।
पाक आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि कई समूहों के अन्य संस्थानों को भी जब्त कर लिया गया है। इसमें 34 स्कूल और कॉलेज, 163 डिस्पेंसरीज, 184 एम्बुलेंस, पांच अस्पताल और प्रतिबंधित समूहों के आठ दफ्तर है।
हाल ही में पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि “इसका मतलब सरकार देश से सभी संचालित प्रतिबंधित समूहों को अपने नियंत्रण में लेना चाहती है। सभी प्रतिबंधित समूहों की सभी प्रकार की संपत्ति या प्रॉपर्टी अब सरकार के नियंत्रण में होगी।” उन्होंने कहा कि “सरकार, साथ ही समूहों द्वारा दी गयी एम्बुलेंस और चैरिटी विंग को भी जब्त कर लेगी। इसका मकसद सुरक्षा परिषद् द्वारा सभी प्रतिबंधित समूहों और लोगों के खिलाफ जारी प्रक्रिया को अमल में लाना है।”