पाकिस्तान को अपनी सरजमीं से आतंकवादियों के संचालन पर लगाम लगानी पड़ेगी और हाफिज सईद सहित लश्कर के आला नेताओं पर मुकदमा चलाना होगा। अमेरिका ने फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स के निर्णय से पूर्व यह बयान दिया है कि क्या पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया जाए।
अमेरिकी राज्य विभाग के दक्षिणी आयर मध्य एशियाई ब्यूरो के अध्यक्ष ऐलिस वेल्स ने पाकिस्तान में लश्कर ऐ तैयबा और जमात उद दावा के चार आला नेताओं की गिरफ्तारी का स्वागत किया है। पाकिस्तान के कानून प्रवर्तन विभाग ने गुरूवार को आतंकी वित्तपोषण मामले में चार लोगो को गिरफ्तार कर लिया था।
चार गिरफ्तार आतंकवादियों की पहचान प्रोफेसर जफ़र इकबाल, याह्या अज़ीज़, मुहम्मद अशरफ और अब्दुल सलाम के तौर पर हुई है। वेल्स ने ट्वीट किया कि जैसे प्रधानमन्त्री इमरान खान ने कहा था पाकिस्तान को अपने मुस्तकबिल के लिए अपनी सरजमीं को से आतंकवादियों को हटाना होगा।”
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान ने चार एलईटी के नेताओं को गिरफ्तार किया है हम इस खबर का स्वागत करते हैं। इस आतंकी समूह के हमले के पीड़ित अब हाफिज सईद सहित इन आतंकवादियों पर मुकदमा चलते हुए देखना चाहते हैं।” पाकिस्तान द्वारा अपनी सरजमीं से आतंकवादियों को गिरफ्तार करने और छोड़ने का लम्बा इतिहास रहा है।
पाकिस्तान को फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स ने ग्रे सूची में रखा है और अक्टूबर में ईरान और उत्तर कोरिया के साथ पाकिस्तान को भी काली सूची में डाला जा सकता है। 12 से 15 अक्टूबर तक पाकिस्तान के मुस्तकबिल पर चर्चा की जाएगी।
बीते महीने भी वेल्स ने पाकिस्तान से सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आग्रह किया था। अमेरिकी ट्रेज़री विभाग ने सईद को वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल कर दिया था। साल 2012 से अमेरिका ने सईद पर एक करोड़ डॉलर की इनामी राशि रखी थी।
साल 2008 में मुंबई हमलो के लिए लश्कर को जिम्मेदार है और वह जमात उद दावा का सहयोगी है। इस हमले में 166 लोगो की मौत हो गयी थी।