पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। सोशल मीडिया पर धमकियाँ, गिरफ्तारी, खातों के ब्लॉक होने और आपत्ति जनक पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। बीते 18 महीनो में पत्रकारों के एक समूह, कार्यकर्ताओं और सरकारी विरोधियों को उनकी ऑनलाइन पोस्ट पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी गयी है।
पाकिस्तान की मेनस्ट्रीम मीडिया में पहले से ही सेंसरशिप फैली हुई है। पत्रकारों का संरक्षण करने वाली समिति ने बीते वर्ष कहा था कि “सेना ने शान्ति से लेकिन प्रभावी तौर पर जनरल रिपोर्टिंग पर सीमित पाबंदियां लागू की है। फेसबुक और ट्वीटर जैन ऑनलाइन मंच पर प्रतिरोध की आवाजे उठी थी लेकिन अब वह बदल चुकी है।
फरवरी में विभागों ने ऐलान किया कि सोशल मीडिया यूज़र्स के लिए एक नए कानून का निर्माण किया जा रहा है जिसमे घृणित भाषण और हिंसा फ़ैलाने वाले पर कार्रवाई भी की जाएगी। कोलुमनिस्ट और सरकार के आलोचक गुल बुखारी ने कहा कि “सोशल मीडिया पर हमला बेहद सावधानीपूर्वक तरीके से आयोजित और समन्वित किया गया है।” बीते वर्ष गुल बुखारी का एक अज्ञात शख्स ने अपहरण कर लिया था।
उन्होंने कहा कि “यह अंतिम सीमांत है जिसे वह जीतने की कोशिश कर रहे हैं।” पत्रकार रिज़वान उर रिज़वान उन लोगो में शुमार है जिन्हे निशाना बनाया गया है। उन्हें फरवरी में उनके लाहौर स्थित आवास से सरकार के खिलाफ अपवादक और आपत्तिजनक कंटेंट प्रकाशित करने के लिए गिरफ्तार किया था।
कुछ दिनों पूर्व उन्होंने बगैर न्याय के फांसी की आलोचना की थी जिसके मुताबिक सुरक्षा बलों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था। उन्हें दो रातो बाद रिहा कर दिया गया था और इसके बाद उन्होंने कोई ट्वीट नहीं किया है। पाकिस्तान में साइबर सेंसरशिप के जानकार एनी ज़मान ने बताया कि “यह सब साल 2016 में पारित एक कानून के कारण हुआ है जिसमे देश की सुरक्षा से समझौता करने वाले पोस्ट, इस्लाम के गौरव की छवि को धूमिल करने वाले ऑनलाइन पोस्ट पर पाबन्दी थी।
उन्होंने कहा कि “यह कानून अस्पष्ट है, यह विभागों को ऑनलाइन नियंत्रण के लिए अधिक ताकत देता है। अपराधियों को इसमे 14 वर्ष की सज़ा का प्रावधान रखा गया है।
फेसबुक और ट्वीटर की पारदर्शी रिपोर्ट के मुताबिक बीते वर्ष से कार्रवाई बेहतर चल रही है। दूसरे देशों के मुकाबले पाकिस्तान में फेसबुक ने साल 2018 के पहले छह महीनो में अधिक कंटेंट पर पाबन्दी लगाई है। सोशल मीडिया के मुताबिक, पिछले छह महीनो में 2203 कंटेंट की उपलब्धता को पाबंद किया गया है। पाकिस्तान टेलीकम्यूनिकेशन विभाग ने 87 चीजों पर शिकायत दर्ज की थी। इसमें ईशनिंदा के स्थानीय कानून, न्यायतंत्र विरोधी कंटेंट और देश की आज़ादी की आलोचना शामिल है।
ट्विटर के आंकड़े भी यही प्रदर्शित कर रहे हैं। साल 2017 के दुसरे छह माह में 674 कंटेंट को हटाने के लिए कहा गया था जबकि इस बार 3004 खातों से कंटेंट हटाने के लिए अनुरोध किया गया था। ट्वीटर के प्रवक्ता के मुताबिक, अधिकतर आग्रह सरकार की तरफ से किये गए थे।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के अध्ययनकर्ता राबिआ महमूद ने बताया कि इंटरनेट की जुबान को बंद करने के मंसूबो को विभाग ज्यादा समय तक नहीं छिपा सकते हैं। वर्षों ने सेंसरशिप कड़ी होती जा रही है। एक सन्देश स्पष्ट है कि पाकिस्तान की नीतियों और सेना की आलोचना को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
ट्वीटर ने यूज़र्स को सूचना दी कि कंपनियों को शिकायत मिली है कि आपके पोस्ट देश के कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। दर्ज़नो ऐसे यूज़र्स है जिन्हे पाकिस्तान के कानून तोड़ने की धमकी मिली है इसमें 11 विदेशी मुल्कों से भी है।