पाकिस्तान की सैन्य सहायता बहाल करने पर भारत ने गंभीर चिंता व्यक्त की है और इस मामले को ट्रम्प प्रशासन के समक्ष उठाया था। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की थी और सैन्य सहायता को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि “भारत ने इस मामले को नई दिल्ली में अमेरिका के राजदूत के समक्ष उठाया है और साथ ही अपने राजदूत के जरिये अमेरिका की सरकार के सामने भी इस मामले को रखा है। हमने पाकिस्तान की सहायता बहाल किये जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।”
बीते हफ्ते पेंटागन ने कांग्रेस को अपने निर्णय से सूचित किया था कि वह पाकिस्तान को एफ-16 कार्यक्रम को जारी रखने के लिए 12.5 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता को बहाल कर रहे हैं।
कुमार ने बताया कि “अमेरिका ने भारत को कहा था कि यह प्रस्तावित सेल पाकिस्तान की सैन्य सहायता को बहाल करने की अमेरिकी नीति में कोई परिवर्तन नहीं करेगी।” एफ-16 कार्यक्रम में सहयोग को जारी रखने के लिए विदेश सैन्य सेल को मंज़ूरी देने के लिए राज्य विभाग ने प्रतिबद्धता जाहिर की थी।
रक्षा विभाग ने कांग्रेस को सूचित किया कि इस सेल के 26 जुलाई 2019 में होने की सम्भावना है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निर्देश पर अमेरिका ने पाकिस्तान की सुरक्षा सहायता को जनवरी 2018 में बंद कर दिया था।
अमेरिका की कांग्रेस का सीआरएस एक स्वतंत्र और द्विदलीय अनुसंधान विभाग है। इस रिपोर्ट को इस क्षेत्र के कई दिग्गजों ने मिलकर तैयार की है और इसे अमेरिकी कांग्रेस के अधिकारिक विचारों के तौर पर नहीं देखा जाता है। सीआरएस की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2011 तक अलकायदा के सरगना ने सालो तक पाकिस्तान में लुत्फ़ उठाया था।
इसपर कांग्रेस में सवाल भी उठाया गया कि जिस राष्ट्र में एक प्रभावी साझेदार बनने का न काबिलियत हो न ही इरादा हो, उसे सुरक्षा सहायता मुहैया करने में क्या बुद्धिमता है। ट्रम्प प्रशासन ने पाकिस्तान पर काफी सख्त रवैया अख्तियार किया है।