अमेरिका के पूर्व ओबामा प्रशासन के अधिकारी ने सांसदों से कहा कि पाकिस्तान में मीडिया और आवाम सीपीईसी के खिलाफ बोलने में भयभीत है क्योंकि उनकी आवाजों को दबाया जा रहा है, उन्हें देश विरोधी और आतंकी करार दिया जा रहा है।”
पाकिस्तानी आलोचकों को कुचला जा रहा
जोहन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल फॉर एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज की शामिला चौधरी ने कहा कि “पाकिस्तानी मीडिया में बहुत दुर्लभ ही आपने सीपीईसी की आलोचना से सम्बंधित कोई लेख पढ़ा होगा। वहां मीडिया पर नियंत्रण है और वहां सिर्फ सीपीईसी की कहानी पढ़ने वाले हैं क्योंकि उन्हें ऐसा न करने की धमकी दी जाती है।”
पूर्व ओबामा प्रशासन में कार्यरत चौधरी ने कहा कि “बेहद स्थानीय स्तर पर जो लोग सीपीईसी की आलोचना कर रहे हैं उन्हें आतंकवादी का तमगा दे दिया गया है। वहां आतंक विरोधी कानून है जो आलोचकों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। इससे नागरिक समाज और लोकतान्त्रिक संस्कृति को काफी नुकसान हो चुका है जबकि उनके देश का इतिहास लोकतंत्र से जुड़ा है।”
अमेरिका की सॉफ्ट पॉवर की तरह चीनी विकास मॉडल जनता से जनता के संपर्क को बढ़ाने में विश्वास नहीं रखता है। उन्होंने आरोप लगाया कि “पाकिस्तान में चीनी सिर्फ धन जुटाने के लिए हैं। वह परिक्षेत्रों में रहते हैं और लोग उसे चीनी कॉलोनी कहते हैं और सिर्फ अपने रेस्टूरेंट में ही जाते हैं। ऐसी चीजों से स्थानीय समुदाय काफी निराश है, मुझे यकीन है।”
चीनी जानकारी को सार्वजानिक करने की इजाजत नहीं
उन्होंने सांसदों को बताया कि पाकिस्तान को मिली चीनी सहायता को गुप्त रखा गया और इस जानकारी को पाकिस्तान ने आईएमएफ के साथ साझा किया है। उन्होंने कहा कि “आईएमएफ के साथ समझौते लगभग अंतिम दौर में हैं और मेरी जानकारी के मुताबिक, वास्तविक जानकारी को साझा किया जा चुका है। आप जानते हैं, चीन के साथ द्विपक्षीय समझौते के कारण पाकिस्तान इस जानकारी को सार्वजानिक नहीं कर रहा था।”
चौधरी ने कहा कि “सीपीईसी की वजह से भारत-पाक के नाजुक सम्बन्धो में खटास आयी है जिससे अमेरिका के हितो को आघात पंहुचा है। पाकिस्तान के नागरिक समाज और मीडिया की रिपोर्ट पर आलोचकों को दबाने के लिए सेना अधिक आक्रमक युक्ति अपनाती है। पाकिस्तान में सेना सबसे अधिक ताकतवर है और यह सिर्फ चीन की वजह से है। पाकिस्तान में चीन के अकेले का प्रभुत्व है और वह हर किसी के लिए अपने हिसाब से खेलो के नियम में परिवर्तन करता है।”
पाकिस्तान ने एक लम्बे अरसे से चीन द्वारा लिए गए कर्ज की शर्तो का खुलासा नहीं किया है। पाकिस्तान में सीपीईसी चीन को भूआर्थिक और भूराजनीतिक फायदा पंहुचा रही है। भविष्य में अमेरिका के भूराजनीतिक विकल्पों के संरक्षण के लिए वांशिगटन को चीनी प्रभुत्व से खतरे में पकिस्तानी और क्षेत्रीय आलोचकों का समर्थन करना चाहिए। चीनी प्रभुत्व को रोकने के लिए अमेरिका को नीतियों का निर्माण करना होंगे।”