चीन और पाकिस्तान के बीच सीपीईसी को लेकर लम्बे समय के लिए योजना पर समझौता हो गया है। इस नए समझौते से अब चीन और पाकिस्तान साल 2030 तक आर्थिक साझेदार बने रहेंगे।
चीन की इस महत्वकांशी योजना के पीछे चीन की कोशिश थी कि इसमें युआन का इस्तेमाल किया जा सके, जो अब सफल होती दिख रही है। पाकिस्तान नें बिना कुछ सोचे-समझे चीनी युआन को लागु करने की बात की है।
इस योजना के तहत मंत्री एहसान इकबाल ने संकेत दिए है कि बहुत जल्द चीन व पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह चीनी मुद्रा युआन को जगह दी जा सकती है। मंत्री ने कहा है कि चीनी मुद्रा रेनमिनबी (युआन) को अपनाने पर पाकिस्तान के हितों में कोई टकराव नहीं होगा। हालांकि हम अभी अमेरिकी डॉलर की जगह रेनमिनबी के उपयोग करने की जांच कर रहे है। संभावना है कि बहुत जल्दी इसका उपयोग किया जा सकेगा।
पाकिस्तान के योजना मंत्री एहसान इकबाल और पाकिस्तान में चीनी राजदूत याओ जिंग ने इस्लामाबाद में एक समारोह के दौरान दीर्घकालिक सीपीईसी योजना को सार्वजनिक किया। इसमें बताया गया कि चीन व पाकिस्तान साल 2030 तक आर्थिक साझेदार रहेंगे।
कहा जा रहा है कि चीन की मुद्रा युआन के पाकिस्तान में उपयोग करने पर पाक अधिकारी जल्द ही मंजूरी दे सकते है। पाकिस्तान ने चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करने के लिए चीन की युआन मुद्रा का उपयोग करने की औपचारिक अनुमति दी है।
हालांकि युआन मुद्रा के इस्तेमाल की अभी पाक अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है। लेकिन पूरी संभावना है कि अब चीन व पाकिस्तान के बीच होने वाले व्यापार में युआन का इस्तेमाल होगा।
सीपीईसी की इस दीर्घकालिक परियोजना को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहला चरण साल 2020, दूसरा चरण साल 2025 व तीसरा चरण साल 2030 तक पूरा होगा।
अतंरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर का दबाव कम होने की आशंका
सीपीईसी के लिए बनी दीर्घकालिक योजना (एलटीपी) के वित्तीय विनियमन के तहत सीमा पार व्यापार व परियोजना वित्तपोषण में पाकिस्तान ने चीन की मुद्रा युआन के इस्तेमाल पर सहमति प्रदान की है। फिलहाल तो अतंरराष्ट्रीय व्यापार के लिए डॉलर का इस्तेमाल होता है।
लेकिन अब चीनी मुद्रा युआन के प्रयोग करने से डॉलर का दबाव कम होने की आशंका है। पाकिस्तान में युआन का प्रयोग होने से अमेरिका को झटका मिलने के पूरे आसार है।
अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्ष पाकिस्तान की केंद्रीय और स्थानीय सरकारों के बहु-मुद्रा प्रत्यक्ष वित्तपोषण का समर्थन करने पर भी सहमत हुए है। पाकिस्तान और चीन सीपीईसी के एलटीपी के तहत वित्तीय नियमों को मजबूत करने पर सहमत हुए है।
चीनी मुद्रा के इस्तेमाल की पेशकश को ठुकरा चुका है पाक
गौरतलब है कि सीपीईसी के लिए हुई एक बैठक में पहले भी चीन ने पाकिस्तान को पेशकश की थी कि सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत ग्वादर फ्री जोन में चीन की आधिकारिक मुद्रा रेममिनबी या चीनी युआन का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन पाकिस्तान ने चीन की इस मांग को खारिज कर दिया था।
दरअसल चीन की नई चाल थी कि वो पाकिस्तान के जरिए अपनी मुद्रा युआन के इस्तेमाल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा सकता है। चीन सीपीईसी के तहत बड़े स्तर पर पाकिस्तान में निवेश कर रहा है। ऐसे में जब चीन ने पाक को कहा कि वो चीनी मुद्रा का इस्तेमाल इस प्रोजेक्ट में करे, इस पर पाक ने चीन को साफ तौर से मना कर दिया।
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय व केन्द्रीय बैंक ने चीन की मुद्रा के इस्तेमाल की मांग को अपनाने से मना कर दिया था। लेकिन अब पाकिस्तान के मंत्री ने संकेत दिए है कि जल्द ही चीनी मुद्रा युआन का इस्तेमाल चीन व पाकिस्तान के बीच व्यापार के लिए किया जाएगा।
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है असर
पाकिस्तान के इस कदम से हालाँकि पाकिस्तान की मुद्रा और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इससे पहले चीन नें वेनेजुएला में भी अपनी मुद्रा का प्रचलन शुरू किया था, जिसके तुरंत बाद वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था गिर गयी थी।
पाकिस्तान में इस कदम के पीछे कई लोगों नें विर्धो भी किया है, लेकिन सरकार नें अब इसकी मंजूरी दे दी है। सरकार का मानना है कि इससे पाकिस्तान की आन्तरिक स्थिति पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।