पाकिस्तानी हुकूमत के तानाशाही रवैये से परेशान बलूचिस्तान के सिंधीयों ने संयुक्त राष्ट्र से मदद की गुहार लगाई है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार पैनल के समक्ष सिंध और बलूचिस्तान के राजनीतिक कार्यकताओं ने उनके क्षेत्रों में मानवाधिकार के उल्लंघन के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
सिंधी कार्यकर्ता भुट्टो ने बताया कि उनके प्रांतो से राजनैतिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता लापता हो रहे हैं।
बलूचिस्तान के कार्यकता ने यूएन से आग्रह किया कि वह पाकिस्तान में मानवाधिकार का उल्लंघन रोकने का दबाव बनाये।
उन्होंने कहा सीपीईसी और चीन के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को निशाना बनाया बनाया जा रहा है।
कार्यकर्ता मात्र बलूचिस्तान की सुरक्षा चाहते हैं और सरकार से बलूचिस्तान को इस परियोजना से मुक्त करने का आश्वासन चाहते है लेकिन पाकिस्तान इसके लिए तैयार नही है। क्योंकि पाक की आर्थिक स्थिति बलुचिस्तान पीकर टिकी है।
विश्व सिंधी कांग्रेस की संयुक्त राष्ट्र कमिटी की बैठक में इस इलाके से गायब हो रहे लोगों के मुद्दे पर चिन्ता व्यक्त की।
भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तानी हुक्मरान सिंधियों के संघर्ष और आवाज़ को दबाने के लिए ये पैंतरा आज़मा रही है।
वही एक अन्य कार्यकर्ता ग़ुलाम शब्बीर कलहरो ने बताया कि जून से अब तक 25 सिंधी कार्यकर्ता लापता हुए है यानी हर महीने 10 कार्यकर्ता गायब हो रहे हैं।
एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा अब ताम 200 कार्यकर्ताओं के गायब होने के केस दर्ज हुए हैं।
जिसमे के दिग्गज कार्यकर्ता हिदायत लोहार जैसे लोग भी शामिल है।
साथ ही उन्होंने कहा कि पर्यावरण और सिंधी लोगो के अधिकारों को ताक पर रखकर पाकिस्तान सीपीईसी और इंडस नदी पर बांध का निर्माण कर रहा है।
भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध किया कि सिंधियों के अधिकार की रक्षा करने और सरकार को जिम्मेदारियों का एहसास दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र जल्द से जल्द कोई कार्यवाही करें।