पाकिस्तान के आतंकवाद पर नकेल न कसने के कारण अमेरिका उससे खफा हो रखा है। पेंटागन ने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान की 1.66 बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद रोक दी है। उन्होंने बताया कि यह डोनाल्ड ट्रम्प के दिए निर्देशों के मुताबिक हुआ है।
रक्षा विभाग के प्रवक्ता कर्नल रॉब मन्निंग ने पत्रकारों से मुखातिब होकर कहा कि सहायता राशि बंद की जा चुकी है लेकिन पाकिस्तान को दी गयी सहायता राशि में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा। अफगानिस्तान में सह रक्षा सचिव डेविड सिडनी ने बताया कि ओबामा प्रशासन के वक्त पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता में इस वर्ष जनवरी से रोक लगायी गयी थी।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार ने सहयोग का वादा किया था लेकिन यह बातों के अलावा कभी गंभीर स्तर का नहीं दिखा है। डोनाल्ड ट्रम्प और अमेरिकी नागरिक पाकिस्तान के इस हीलहवाली रवैये से काफी नाराज़ हैं। इस नाराज़गी से पाकिस्तान की बेकसूर आवाम भी भुगत रही है। पाकिस्तान को अन्य जनता को इस पीड़ा को भुगतने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
आतंकी ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी नौसेना सील ने पाकिस्तान के अब्बोट्टाबाद में सैन्य छावनी के ठीक बगल वाले घर में मारा था। कुछ दिन पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा था कि पाकिस्तान की आवाम को भी ओसामा के वहां छिपे होने के बाबत जानकारी थी। सिडनी की किताब ‘दी रॉंग एनिमी’ के मुताबिक पाकिस्तान की सेना के वरिष्ठ अधिकारी की एक टुकड़ी को ओसामा के पाकिस्तान में होने की सूचना थी।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अभी इस्लामिक चरमपंथियों से जूझ रहा है लेकिन इस्लामाबाद में चरमपंथी समूहों की भरमार है। उन्होंने कहा कि अमेरिका क्या चाहता था, डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि पाकिस्तान को तालिबान, लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि लेकिन अभी भी तालिबान को हथियार, रूपए और अन्य सामग्री पंहुचा रहा है, आतंकी के परिवार को पनाह दे रहा है।
उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान तालिबान के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा तो अफगानिस्तान में पलक झपकते ही शांति स्थापित हो जाएगी। अमेरिका के पूर्व कूटनीतिज्ञ ज़लमय खलीलजाद तालिबान के साथ कतर में शांति वार्ता करेंगे।