कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान के फैजाबाद में शांतिपूर्वक चल रहे विरोध-प्रदर्शन ने हिंसक रूप धारण कर लिया था। इसमें 6 लोगों की मौत और करीब 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
बाद में पाकिस्तान सरकार प्रदर्शनकरियों के सामने झुक गई थी और पाकिस्तान के कानून मंत्री जाहिद हमीद को निलंबित करने का फैसला किया था। इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों से किए गए समझौतो में सरकार ने उनकी सारी मांगे मान ली थी।
अब इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा है कि प्रदर्शनकारियों और पाकिस्तान सरकार के बीच फैजाबाद समझौते की शर्तों को कानूनी रूप से उचित नहीं माना जा सकता है। यह कहते हुए इस करार को हाईकोर्ट ने अवैध बताया है।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जज शौकत अजीज सिद्दीकी ने एक सुनवाई के दौरान कहा कि आतंकवाद कानून के तहत दायर मामलों को कैसे खारिज किया जा सकता है? इससे पहले भी कोर्ट ने पाकिस्तान सरकार व सेना की प्रदर्शनकारियों के सामने झुकने की कड़ी निंदा की थी।
पाक में हुआ था हिंसक प्रदर्शन
गौरतलब है कि करीब 25 दिनों से प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों के ऊपर पाक सरकार ने आतंकवाद कानून मामले के तहत मुकदमा दर्ज किया था लेकिन बाद में समझौता होने पर उन पर से इसे हटा दिया गया था।
26 नवंबर को पाकिस्तान की केन्द्र सरकार ने कानून मंत्री जाहिद हमीद के निलंबन के अलावा तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इन समझौतो में सेना ने भी मध्यस्थता की भूमिका निभाई थी।
इस मामले की शुरूआत पाक में निर्वाचित प्रतिनिधियों के शपथ से खात्मे नबूवत या पैगम्बर मोहम्मद वाले खंड को हटाने पर शुरू हुई थी।तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी को ऐसा करना नागवार गुजरा था।
इस पार्टी ने पाकिस्तान के कानून मंत्री जाहिद हमीद को चुनावी शपथ में किए गए बदलाव का दोषी ठहराते हुए इनके इस्तीफे की मांग की थी। साथ ही इसे ईशनिंदा के समान माना गया था। जिसके बाद ही प्रदर्शन हिंसक हो गया था।
तहरीक-ए-लब्बैक व पाक सरकार के बीच हुए करार के मुख्य बिंदु
- तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी व सरकार के बीच में समझौता हुआ था। कानून मंत्री जाहिद हमीद को निलंबित कर दिया गया था जिसके बाद उसके खिलाफ फतवा नहीं जारी करने का निर्णय लिया गया।
- तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी ने पाक सरकार की मांग की थी कि कानून के तहत पैगम्बर मोहम्मद वाले खंड हटाने संबंधी लिपिक गलती करने वाले जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाया जाए।
- 6 नवंबर को प्रदर्शन शुरू होने के बाद सुरक्षाकर्मियों द्वारा गिरफ्तार किए गए सभी कार्यकर्ताओं और पार्टी समर्थकों को रिहा कर दिया जाए और उन पर से सारे मुकदमों को वापस लिया जाए।
- तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी पर लाठीचार्ज व कार्रवाई करने का आदेश देने वालों के खिलाफ जांच दल का गठन हो और 30 दिनों के अंदर उन पर मुकदमा दायर हो।
- पाकिस्तान की संघीय और प्रांतीय सरकार को बैठने की पूरी अवधि में होने वाले सभी व्यक्तिगत और सार्वजनिक नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति करनी होगी।