विश्व बैंक ने बलूचिस्तान के जल संसाधन प्रोजेक्ट के लिए 20 डॉलर के कर्ज को रोक दिया है। विश्व बैंक की प्रवक्ता ने बताया कि “प्रोजेक्ट में प्रगति की कमी और एक व्यक्ति के नियंत्रण के कारण इसकी राशि को रोक दिया गया है। इस प्रोजेक्ट का मकसद प्रांतीय सरकार जल संसाधनों पर निगरानी और प्रबंधन की क्षमता को मज़बूत करना था।”
पाकिस्तान टुडे के मुताबिक वर्ल्ड बैंक की प्रवक्ता मरियम अल्ताफ ने कहा कि “इस प्रोजेक्ट के कार्य को 30 दिनों के लिए रोक दिया गया है।” बलूचिस्तान इंटीग्रेटेड वाटर रिसोर्सेज मैनेजमेंट एंड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर तीन वर्ष पूर्व हस्ताक्षर किये गए थे। बैंक ने इसकी अनुमानित लागत 20 करोड़ डॉलर देने के लिए प्रतिबद्ध था।
बैंक ने बयान जारी कर कहा कि “दुर्भाग्यवश, इस प्रोजेक्ट के प्रबंधन में प्रगति की कमी दिखाई दे रही है। इसका कारण व्यय, कानूनी कार्रवाई और नियंत्रण है। आज विश्व बैंक ने इस परियोजना को निलंबित कर दिया है और अगले 30 दिनों में बलूचिस्तान सरकार को क्षेत्र का पुनर्गठन करने और सरकारी प्रबंधनों को बेहतर करने का प्रस्ताव देती है ताकि प्रान्त को सतत जल प्रबंधन मिले सके।”
यह प्रोजेक्ट अक्टूबर 2022 में पूर्ण होता और इसका उद्देश्य प्रांतीय सरकार जल संसाधनों पर निगरानी और प्रबंधन की क्षमता को मज़बूत करना था। साथ ही जल प्रबंधन पर आधारित समुदाय की स्थिति में सुधार करना था ताकि बलूचिस्तान में सिंचाई योजना के लक्ष्य को भेदा जा सके।
बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री जम कमाल खान और योजना व विकास मंत्रालय के अतिरिक्त प्रमुख सज्जाद अहमद भुट्टा के प्रवक्ता अज़ीम ककर ने प्रोजेक्ट के रुकने पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया था।
विकास के विशेषज्ञ अदनान आमिर ने बताया कि “इसके लिए प्रांतीय सरकार के उपकरण उत्तरदायी है। प्रांतीय नौकरशाही की आलोचना करते हुए बताया कि सरकार की मशीनरी पुराने ढंग की और खराब थी और आधुनिक ज़माने के जरूरतों के मुताबिक अनुकूल नहीं है। विश्व बैंक की मदद कृषि क्षेत्र में जल उपलब्धि में सुधार के लिए थी। इस रोक से नारि और पोरली बेसिन क्षेत्रों में कृषि पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है क्योंकि प्रांतीय सरकार के समक्ष इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए खुद के संसाधन मौजूद नहीं है।”
बलूचिस्तान में देश की सबसे खराब स्वास्थ्य सुविधाएं हैं। तक़रीबन 62 प्रतिशत जनता की पंहुच साफ़ पीने के पानी तक नहीं है और 58 फीसद भूमि पर पानी की कमी के कारण खेती नहीं की जाती है।