पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी 15 दिसम्बर को अफगानिस्तान का दौरे पर जायेंगे। इस यात्रा के दौरान वह अफगानिस्तान के नेताओं से शांति और राजनीतिक सुलह के बाबत बातचीत करेंगे। हाल ही मेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान को अफगानिस्तान में शांति कायम करने से सम्बंधित पत्र लिखा था। 17 वर्षों से अफगानिस्तान सरकार और चरमपंथी समूह तालिबान के मध्य जंग की स्थिति बनी हुई है।
मुल्तान में शनिवार को महमूद कुरैशी ने कहा कि यह पाकिस्तान की विदेश नीति की मजबूती है कि अमेरिका ने अफगान मसले के लिए हमारी सहायता मांगी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है।
विदेश मन्त्री ने कहा कि 15 दिसम्बर को अफगानिस्तान की यात्रा के दौरान वह अफगान सरकार से राजनीतिक सुलह और शांति प्रक्रिया के बाबत बातचीत करेंगे। विदेश मंत्री की पाकिस्तान तहरीक ए इन्साफ की सरकार बनने के बाद यह दूसरी यात्रा है।
ट्रम्प ने पत्र में लिखा कि उनकी सबसे महत्वपूर्व क्षेत्रीय प्राथमिकता अफगान जंग बातचीत करना है। उन्होंने पाकिस्तान के समर्थन और सहूलियत की मांग की है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि जंग की कीमत पाकिस्तान और अमेरिका दोनों को चुकानी पड़ी है। उन्होंने कहा कि हमें साथ कार्य करने के अवसरों का विस्तार करना चाहिए और साझेदारी को दोबारा मज़बूत करना चाहिए।
अफगानिस्तान में तालिबान अंतर्राष्ट्रीय बलों को खदेड़ने के लिए कार्य कर रही है और वापस अपनी सरकार को स्थापित करना चाहती है। इस जंग में अमेरिका और अफगानिस्तान ने साल 2001 से 2400 गवाएं हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान आपसी अविश्वास के बावजूद अपने समझौतों को मज़बूत करने की कोशिश करेंगे।
सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर गलियारे के निर्माण पर शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि यह कदम शांति का सन्देश था उअर पाकिस्तान का प्रेम था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की विदेश नीति सही पटरी पर है, जो राष्ट्रीय हित और आत्मनिर्भरता पर आधारित है।