पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बयान दिया कि इस्लामाबाद का भारत को दोस्ती का हाथ बढ़ाने का मतलब यह नहीं कि हम कमजोर है। भारत को वार्ता के लिए अपने घमंड को किनारे रखना होगा।
उन्होंने कहा इस्लामाबाद को उम्मीद है कि नई दिल्ली अपने तीखे तेवरों को त्याग कर पाकिस्तान के साथ शान्ति वार्ता के लिए हामी भरेगी। वार्ता का प्रस्ताव देने कि वजह से इस्लामाबाद को कमजोर समझने कि गलती न करे।
इमरान खान ने कहा दोनों देशों के मज़बूत रिश्ते की वजह से हम गरीबी से निजात पा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि दोनों देश दुनिया की किसी भी शक्ति का दबाव सहन नहीं करेंगे।
इमरान खान ने नरेंद्र मोदी को सन्देश में द्विपक्षीय वार्ता को दोबारा बहाल करने, आतंकवाद और कश्मीर विवाद के विषय में लिखा था। संयुक्त राष्ट्र की बैठक के इतर न्यूयोर्क में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके समकक्षी शाह मेहमूद हुसैन की मुलाकात होनी थी।
भारत ने इस बातचीत प्रक्रिया को शुक्रवार रद्द कर दिया था। नई दिल्ली ने इस बैठक को निरस्त करने की वजह कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या और कश्मीरी अलगाववादी बुरहान वानी के नाम की स्टाम्प को जारी करना बताया।
रविवार को आर्मी जनरल विपिन रावत ने बैठक रद्द की पैरवी करते हुए कहा कि वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ संपन्न नहीं हो सकते।
उन्होंने कहा पाकिस्तान सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि वार्ता की पहल करने से0 इस्लामाबाद इस भूल में न रहे कि भारत यह मान लेगा की पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे रहा।
भारत को दिख रहा है कि इस्लामाबाद आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है और सीमा पार से आतंकवाद भेजे जा रहे है।
इमरान खान ने शनिवार को कहा कि न्यूयोर्क में दोनों देशों कि बैठक को निरस्त करने का भारत का निर्णय अभिमान का प्रतीक था।
नई दिल्ली की नकारात्मक रवैया बेहद निराशाजनक है हालाँकि पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने इमरान खान को हड़बड़ी में भारत के साथ रिश्ते बहाल करने के फैसले कि आलोचना की है और उन्हें कूटनीतिक पराजय का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा की प्रधानमंत्री को भारत को ऑफर देने से पहले होमवर्क कर लेना चाहिए थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता का खात्मा जनवरी 2016 में भारत के मिलिट्री कैंप में आतंकवादी हमले के बाद हुआ था।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत ने ऐलान किया कि पाकिस्तान के साथ कोई वार्ता नहीं कि जायेगी क्योंकि आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं हो सकती।