पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने देश के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को मंगलवार को देशद्रोह के एक मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई। पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब विशेष अदालत की तीन सदस्यों वाली जजों की एक पीठ ने किसी पूर्व राष्ट्रपति को देशद्रोह के मामले में फांसी की सजा सुनाई है।
डॉन न्यूज के अनुसार, वर्तमान में दुबई में रह रहे मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का यह मामला दिसंबर 2013 से लंबित था। उनके खिलाफ यह मामला तीन नवंबर, 2007 को आपातकाल लागू करने के लिए चल रहा था।
मंगलवार को अंतिम बहस सुनने के बाद पेशावर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ, सिंध हाईकोर्ट के न्यायाधीश नजर अकबर और लाहौर हाईकोर्ट के न्यायाधीश शाहिद करीम की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले में 2-1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया। विस्तृत फैसला 48 घंटे में जारी कर दिया जाएगा।
मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था और अभियोजन पक्ष ने उसी साल सितंबर में विशेष अदालत के समक्ष पूरे सबूत पेश किए थे।
हालांकि, अपीली मंचों पर मुकदमेबाजी के चलते पूर्व सैन्य तानाशाह का मुकदमा चलता रहा और उन्होंने मार्च 2016 में इलाज के बहाने पाकिस्तान छोड़ दिया। तब से वह पाकिस्तान वापस नहीं लौटे हैं।
पेशावर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत ने घोषणा की थी कि वह मंगलवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी।
मामले में सुनवाई के दौरान छह बार विशेष अदालत को पुनर्गठित करना पड़ा था।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, इससे पहले सुनवाई में पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार की ओर से अभियोजन टीम ने एडवोकेट अली जिया बाजवा के नेतृत्व में अदालत से पूर्व सैन्य शासक के खिलाफ अभियोग में संशोधन करने का आग्रह किया।
सरकारी वकील अली जिया बाजवा ने कहा कि उन्होंने तीन याचिकाएं दायर की हैं।
सरकारी वकील बाजवा ने कहा कि सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हमीद डोगर और पूर्व कानून मंत्री जाहिद हामिद के खिलाफ भी आरोप लगाना चाहती है।
उन्होंने कहा, “सभी आरोपियों का एक साथ मुकदमा चलाना अनिवार्य है। सहायकों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए।”
सरकार को एक नई चार्जशीट प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय देते हुए पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस मामले पर फैसला कर दिया था और अब इसका कोई मतलब नहीं।
सुनवाई के वक्त मुशर्रफ के वकील रजा बशीर ने अपने मुवक्किल का बयान दर्ज कराने के लिए 15 से 20 दिनों का समय मांगते हुए कहा, “मुशर्रफ निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के हकदार हैं।”