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    पाकिस्तान की ग्रामीण इलाकों में टॉयलेट का आकाल

    पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमन्त्री इमरान खान ने पीएम नरेन्द्र की तर्ज पर पाकिस्तान में स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी। पाकिस्तान के ग्रामीण इलाके में रहने वाली आईशा सिद्दीका ने अपने पुरुष रिश्तेदारों से टॉयलेट के निर्माण के लिए लड़ाई लड़ी थी।

    आईशा ने अपने परिजनों से कहा कि तुम कही भी जा सकते हो, लेकिन मुझ पर तो सौ पाबंदिया हैं। 60 की उम्र में पंहुची आईशा ने पंजाब प्रांत के छोटे से गाँव बस्ती अमीर्वाला से है। सिद्दीका ने बताया कि गाँव में महिलाओं को रूढ़ीवादी विचारधाराओं और समाज से अपनी शरीर को छिपाने की हिदायत दी जाती थी।

    सिद्दीका की बहु ताहिरा बीबी ने कहा कि दिन-भर खेतों में काम करने के बाद, रात का इंतजार करना होता है वो भी अधेरे से पटी पड़ी। इस दौरान कई सांप और कुत्ते घुमते हैं, यहाँ तक कि अजीब आदमियों से भी हमारा सामना होता था। 35 वर्षीय महिला ने बताया कि मैंने अपनी खाने पीने पर नियंत्रण कर लिया था ताकि मुझे दिन के समय बाथरूम न जाना पड़े।

    मर्दों की प्राथमिकता में नहीं टॉयलेट

    एक कार्यकर्ता अल्ताफ हुसैन ने कहा कि महिलाओं को टॉयलेट मुहैया करना मर्दों का कर्तव्य होना चाहिए। जब हम उनसे इस बाबत पूछते हैं, तो उनकी आंखे श्रम से झुक जाती है कि उनकी घर की महिलाओं को शौच के लिए बाहर जाना होता है। उन्होंने कहा कि यह सांकृतिक मसला भी है, लोगों को अपनी जमीन में खाद के लिए खुले में शौच करना दिनचर्या का हिस्सा लगता है, हालांकि वे इसके बुरे नतीजों से अवगत नहीं है।

    संयुक्त राष्ट्र बाल परिषद् के मुताबिक 22 मिलियन पाकिस्तानियों ने खुले में शौच करने की बात कबूली है। पाकिस्तान में ग्रामीण इलाकों में केवल 48 फीसदी लोगों के घर में ही टॉयलेट है जबकि शहरों में यह आंकड़ा 72 फीसदी है। यूनिसेफ के जल और स्वच्छता के विशेषज्ञ ने बताया कि ऐसे इलाकों में तपेदिक, कॉलरा, हेपेटाइटिस जैसी भयावह बीमारियाँ सामान्य है। इस बीमारियों से जिन लोगों की मृत्युं नहीं होती, वह पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सक्षम नहीं होते हैं।

    ताहिरा बीबी ने बताया कि उनके चार बच्चों में से एक की मौत पेट में दर्द के कारण हुई थी व दूसरे की हालत बहुत गंभीर है, हम सोचते हैं कि यह अल्लाह की मर्जी है। यूएन ने इसी हफ्ते वर्ल्ड टॉयलेट डे का आयोजन किया था। पाकिस्तान की सरकार ने ‘क्लीन ग्रीन कैंपेन’ लांच किया था। पकिस्तान के गाँवों के अन्य आदमियों की तरह मोहम्मद नासिर के लिए भी टॉयलेट प्राथमिकता नहीं है, वह अपने पैसे को सैटेलाइट डिश और टीवी खरीदने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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