भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में दो वर्ष के लिए गैर स्थायी सीट पर 55 सदस्यीय एशिया पैसिफिक ग्रुप ने सहमति जताई है इसमें पाकिस्तान और चीन भी शामिल है। भारत के लिए वैश्विक स्तर पर यह एक कूटनीतिज्ञ जीत है। 15 राष्ट्रों की परिषद् के लिए साल 2021-2022 कार्यकाल पांच गैर स्थायी सदस्यों के लिए अगले वर्ष जून में आयोजित होंगे।
भारत को परिषद् की गैर स्थायी सदस्यता के लिए साल 1950-51, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और 2011-2012 में मिली थी। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधित्व राजदूत सईद अकबरडुब्बीन ने ट्वीट कर कहा कि “यह एक अदभुत कदम है। यूएन में एशिया-पैसिफिक समूह ने दो वर्ष के लिए सुरक्षा परिषद् में सर्वसम्मति से भारत की गैर स्थायी सीट पर मंज़ूरी दी है।”
सन्देश में एशिया पैसिफिक समूह के सभी सदस्यों को भारत की सदस्यता के लिए आम सहमति के लिए शुक्रिया अदा कहा है। 55 देशों में भारत की सदस्यता के लिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, इंडोनेशिया, ईरान, जापान, कुवैत, किर्ग़िज़स्तान, मलेशिया, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, क़तर, सऊदी अरब, श्रीलंका, सीरिया, तुर्की, यूएई और वियतनाम ने सहमति दी है।
प्रत्येक वर्ष 193 सदस्य जनरल असेंबली पांच देशों को गैर स्थायी सदस्यों का दो वर्षों के लिए चयन करते हैं। परिषद् में पांच स्थायी सदस्यों में चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल है। 10 गैर स्थायी सीटों को क्षेत्रीय आधार पर दिया जाता है, यह पांच अफ्रीकी और एशियाई देशों को दिया जाता है, एक पूर्वी यूरोपीय राज्यों, दो लैटिन अमेरिकी देशों और कॅरीबीयन राज्यों और दो पश्चिमी यूरोपियों और अन्य राज्यों को दी जाती है।
इस माह शुरुआत में एस्तोनिया, नाइजर, सेंट विन्सेंट और ग्रेनडिनेस, तुनिशिया और वियतनाम को परिषद् में दो वर्षों के लिए चुना गया था। सेंट विन्सेंट और ग्रेनडिनेस जैसे छोटे राष्ट्र सीट को बचाने में सफल रहते हैं। मौजूदा समय में 10 गैर स्थायी दस बेल्जियम, कोटे डिवॉयरे, डोमिनिशन रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गुइना, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू, पोलैंड और दक्षिण अफ्रीका है।
सुरक्षा परिषद् में सुधार के लिए भारत लम्बे समय से प्रयासों के लिए फूटफ्रंट पर रहता है और उन्होंने कहा कि वह परिषद् में स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने के हकदार है।