पाकिस्तान ने 360 भारतीय मछुवारो को जेल से रिहा करने का निर्णय लिया है, यह चार बैचों में भारत भेजे जायेंगे जिसका पहला बैच आज भेजा जायेगा।
पाकिस्तान इंडिया पीपल्स फोरम फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी के सदस्य जीवन जुंगी ने न्यूज़18 से कहा कि “गुजरात से 360 में से 355 मछुवारो को रिहा करने की योजना तैयार है।”
उन्होंने कहा कि “यह मछुवारो और उनके परिवार के लिए काफी अच्छी खबर है। हमें पाकिस्तान से सन्देश मिला है कि वह 360 मछुवारो को रिहा कर रहे हैं। 100 मछुवारो का पहला बैच शुक्रवार को वाघा बॉर्डर पर पंहुचेगा। दूसरा बैच 15 अप्रैल को भारत पंहुचेगा जबकि तीसरा बैच 22 अप्रैल और 60 मछुवारो का चौथा बैच 29 अप्रैल को भारत पंहुचेगा।”
जीवन जुंगी ने कहा कि “पाकिस्तान की जेल में मृत एक गुजराती मछुवारे के शव को वापस भारत लाने की प्रक्रिया जारी है। मछुवारे को वापस लाने के लिए हम दोनों देशों के उच्चायोग के साथ संपर्क में हैं।”
4 मई को भारतीय मछुवारा भीखाभाई बमभानिया की पाकिस्तान में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी। भीखाभाई और एक अन्य मछुवारा जोखिम उठाकर अरब सागर की तरफ गए थे और उन्हें 15 नवंबर, 2017 को पाकिस्तानी समुंद्री सुरक्षा एजेंसी ने अंतर्राष्ट्रीय समुंद्री सीमा से गिरफ्तार कर लिया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच समुंद्री सीमा की कोई स्पष्टता नहीं है इसलिए दोनों देश एक-दूसरे के मुल्कों के मछुवारो को गिरफ्तार करते रहते हैं।
पाकिस्तान का बयान
डॉन के मुताबिक पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल नें कहा है कि पहले फेस में 8 अप्रैल को 100 कैदियों को रिका किया जाएगा।
दुसरे फेस में 15 अप्रैल को 100 और कैदियों को रिहा किया जाएगा। तीसरे फेस में 22 अप्रैल को 100 और कैदियों को रिहा किया जाएगा। और 29 अप्रैल को अंतिम चरण में 60 कैदियों को रिहा किया जाएगा।
इस बारे में और जानकारी देते हुए मोहम्मद फैसला नें कहा कि वर्तमान में 347 पाकिस्तानी कैदी भारत में कैद हैं और 537 भारतीय कैदी पाकिस्तान में कैद हैं।
उन्होनें कहा, “पाकिस्तान 360 कैदियों को रिहा करेगा, जिनमें 355 मछुआरे हैं और 5 आम नागरिक हैं।”
इस्लामाबाद में मीडिया को संबोधित करते हुए फैसला नें आगे कहा, “भारत से यह आशा है कि वह इस फैसले का स्वागत करेगा।”
जाहिर है भारत और पाकिस्तान के बीच पानी में कोई निर्धारित सीमा नहीं है, जिसके चलते अक्सर दोनों देश एक दुसरे के मछुआरों को पकड़ लेते हैं और वैश्विक नियमों के तहत उन्हें छोड़ भी देते हैं।
कई बार तो इन मछुआरों को महीनों जेल में बिताने पड़ जाते हैं।