भारत और पाकिस्तान के मध्य जमी मतभेदों की बर्फ सिख श्रद्धालुओं के पाकिस्तान की धार्मिक यात्रा के बाद पिघलती नज़र आ रहीं है लेकिन एक अन्य विवाद ने तूल पकड़ लिया है। पाकिस्तान के लाहौर प्रांत में स्थित गुरुद्वारे में प्रवेश करने से भारतीय दूतावास के अधिकारियों को रोक दिया गया था। भारत के पाकिस्तान में स्थित दूतावास के उच्चाधिकारियों ने शुक्रवार को इस शोषण के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
भारत के अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान के विदेश विभाग के आदेश के बाद इस्लामाबाद में अधिकारियों का शोषण किया गया और श्रद्धालुओं से मुआलाकत अकरने से रोका गया था। इस्लामाबाद में इन हरकतों के कारण भारतीय दूतावास के अधिकारियों को बिना अपनी जिम्मेदारियों का वहन और दूतावास की ड्यूटी निभाये वापस लौटना पड़ा थ।
पाकिस्तान के ऐसे कदम उनकी मानसिकता का प्रदर्शन कर रहे हैं वो भी उस दौरान जब भारत के सिख श्रद्धालु पाकिस्तान में अपनी धार्मिक आस्था के लिए आये हैं, गुरुनानक की सालगिरह के जश्न में शामिल होने आये हैं। भारत की कैबिनेट में गुरूवार को निर्णय लिया गया था कि वे पंजाब के गुरुदासपुर से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर गलियारे का निर्माण और विकास करेगा।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि नानक साहिब गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों के रवैये से सरकार बहुत निराश हुई है। खालिस्तान समर्थक धार्मिक स्थल के बाहर पोस्टर और झंडे लेकर खड़े थे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह भारतीय संप्रभुता को नज़रंदाज़ करते हुए सांप्रदायिक दुष्ट और गैर बर्दास्त है।
पाकिस्तान में स्थित भारतीय दूतावास के दो अधिकारियों को लाहौर गुरूद्वारे में प्रवेश करने रोका था। पाकिस्तान ने दावा किया कि भारतीय अधिकारियों के प्रवेश से सिख समुदाय के लोगो को अघात पहुंचेगा, क्योंकि भारत ने नानक साहिब फ़क़ीर फिल्म का प्रदर्शन की अनुमति दी थी। जो भारत के लिए बेहद निराशाजनक कारण है।