पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए ब्रिक्स के राष्ट्रों ने शुक्रवार को दोहराया कि आतंकवादी समूहों को मिलने वाले वित्तपोषण को रोकने और उनकी सरजमीं ने आतंकी समूहों की गतिविधियों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी हर देश की है।
ओसाका में जी-20 के सम्मेलन के इतर ब्रिक्स सदस्यों की अनौपचारिक मुलाकात में सदस्यों ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया कि आतंकी इरादों से इंटरनेट के शोषण के खिलाफ लड़ेंगे। इसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल है।
बयान के मुताबिक, सदस्य देशों ने कहा कि वह आतंकवादी हमलो की कड़ी आलोचना करते है, चाहे फिर उसे किसी ने भी और किसी भी इरादे से अंजाम दिया हो। हम दोहराते है कि आतंकवादी समूहों को मिलने वाले वित्तपोषण को रोकने और उनकी सरजमीं ने आतंकी समूहों की गतिविधियों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी हर देश की है।
ब्रिक्स राष्ट्रों को सम्बोधित करते हे पीएममोदी ने कहा था कि “मानवता के लिए आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है और ब्रिक्स राष्ट्रों से आतंकवाद को मिले वाले वित्तपोषण को रोकने में योगदान देने का आग्रह किया था।” भारत ने पूर्व में पाकिस्तान पर आतंकवादी हमले के आरोप लगाये थे।
उन्होंने भ्रष्टाचार को वैश्विक चुनौती करार दिया था। ब्रिक्स के नेताओं ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया कि वह अवैध अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रवाह को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग में समर्थन करेंगे। उन्होंने बयान में कहा कि “हम जानते है कि भ्रष्टाचार और अवैध धन का आर्थिक वृद्धि और सतत विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हम अपने दृष्टिकोण के समन्वय का प्रयास करते हैं और इसके सबंध में मज़बूत वैश्विक प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित करते हैं।
बीते हफ्ते एफएटीएफ ने पाकिस्तान से कहा कि अक्टूबर तक आतंकी वित्तपोषण के एक्शन प्लान को पूरा कर दे या परिणाम भुगतने को तैयार रहे। पाकिस्तान अभी देशों की ग्रे फेरहिस्त में शामिल है क्योंकि वह हवाला और आतंकी विस्त्तपोषण को रोकने में नाकाम साबित हुआ था।