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    bangladeshi's pm sheikh hasina

    बांग्लादेश और पाकिस्तान की स्थितियां लगभग एक समान है। दोनों ही राष्ट्र एक जैसी चुनौतियों को झेल रहे हैं, इसमें मुख्यत आतंकवाद, फासीवाद लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, अधिक जनसँख्या और अन्य शुमार हैं। बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि दर 7.8 फीसदी है जबकि पाकिस्तान का महज 5.8 प्रतिशत है।

    साल 1971 में बांग्लादेश का निर्यात शून्य था और अब 35.8 अरब डॉलर है और वही पाकिस्तान का 24.8 अरब डॉलर है। बांग्लादेश ने अपने स्वास्थ्य विभाग में भी सुधार किया है, इसी कारण पाकिस्तान के मुकाबले बांग्लादेश में जन्मदर कम है। ढाका और इस्लामाबाद में जनसँख्या में अधिक असमानता नहीं है।

    बांग्लादेश ने अपने वजूद को पाने के बाद आर्थिक वृद्धि पर ध्यान दिया लेकिन वह चीन, अमेरिका या सऊदी अरब को कुछ महत्वपूर्ण निर्यात नहीं करता है। बांग्लादेश के जन्म के दौरान न पेशेवर नौकरशाह थे, न सेना थी और न अन्य जरूरतमंद सामान, उन्हें बस भारतीय सिविल सर्विस का एक पूर्व सदस्य दिए गए थे।

    एक ही वृक्ष की दो शखाओं के लक्ष्य भी आपसे में बैर रखते हैं क्योंकि दोनों राष्ट्रों के राष्ट्र हित अलग-अलग इजाजत देते हैं। बांग्लादेश अपना भविष्य मानव विकास और आर्थिक वृद्धि में देखता है। उनका लक्ष्य निर्यात में वृद्धि, बेरोजगारी में कमी, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और कर्ज व सहायता पर निर्भरता को कम करना है।

    पाकिस्तान के लिए मानव विकास दूसरे पायदान पर आता है। इस राष्ट्र की पूरी ऊर्जा भारत को मात देने में खर्च हो जाती है। पाक के अफगानिस्तान और ईरान के साथ सम्बन्ध बिगड़ते जा रहे हैं और इसका आरोप पाक भारत पर मढ़ता है और कहता है कि यह राष्ट्र भारत के नजदीकी है। पाकिस्तान में पेशावर स्कूल हत्याकांड स्थितियां बिगड़ना शुरू हो गयी थी। 16 दिसंबर 2014 को यह हत्याकांड हुआ था।

    बांग्लादेश में आंतरिक संघर्ष की स्थितियां है लेकिन इसके बावजूद वह अधिक बहुसांस्कृतिक और उदारवाद है। बांग्लादेश के समाज और कार्यकर्ताओं ने सेना को सत्ता पर अपना कब्ज़ा स्थापित करने नहीं दिया। हालाँकि बांग्लादेश के चयनित नेता अधिक भ्रष्ट होते हैं। पाकिस्तान चीन की सीपीईसी परियोजना के साथ या बिना भी भारत का मुकाबला नहीं कर सकता है। पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाए जाते हैं जबकि बाहर से पाकिस्तान चीन,अमेरिका और सऊदी की हुकूमत में रहा हैं। इस वक्त पाकिस्तान को अपनी आर्थिक स्थिति को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए न कि भारत को युद्ध में कैसे पछाड़ा जाए।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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