पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के सरकारी कर्मचारियों ने पाकिस्तान की पक्षपाती वित्तीय नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया है। सचिवालय के कर्मचारियों ने इस्लामाबाद के खिलाफ नारे लगाए और सरकार से तत्काल कदम उठाये कि लोग नकदी के संकट के कारण घरों को छोड़कर भाग रहे हैं जब लोग पहले से ही महंगाई के बोज तले दबे हुए हैं।
सरकारी कर्मचारियों का धरना
एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि “हम पिछले चार दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं। हमारी मांगे बीते एक साल से लंबित पड़ी हुई है। मुख्य सचिव के सुझाव से एक समिति का गठन किया गया था लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। हमारी प्रमुख मांग है कि सरकारी कर्मचारियों को स्वास्थ्य अधिकारीयों और पुलिस की तरह ही भत्ता मिलना चाहिए। हमें इससे वंचित रखा गया है।”
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उनके साथ देश के अन्य भागो के कर्मचारियों की तरह ही सुलूक किया जाना चाहिए। हमारी मांग समान्य इंसेंटिव और उपस्थिति भत्ता दिए जाने की है जो समस्त पाकिस्तान में अन्य संगठनों के कर्मचारियों को मुहैया किया जाता है।
प्रदर्शनकारियों ने पहले भी अपनी नाराजगी व्यतीत की थी और कहा कि “वे दृढ़ निश्चयी है और अपनी मांगो को वापस नहीं लेंगे जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता है।” इस मामला तनख्वाह में वृद्धि और बकाया राशि का भुगतान है जो पीओके में सभी सार्बजनिक क्षेत्रों के कर्मचारियों को नहीं दिया गया है।
बीते कई वर्षों से प्रदर्शनकारी धरना दे रहे हैं लेकिन अभी तक उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे किसी गैर वाजिब चीज की मांग नहीं कर रहे है और आला विभागों की थोप तवज्जो इस मामले का हल निकाल सकती है।
दशकों तक पाकिस्तान ने इस क्षेत्र में हुकूमत की है और इसके संसाधनों को भरसक लूटा है। साथ ही इस क्षेत्र के लोगो को प्रताड़ित करने के लिए विधेयक तक का इस्तेमाल किया है।