पाकिस्तान की तरफ प्रवाहित जल को भारत सिंधु जल संधि के तहत नहीं रोक सकता है। पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “अगर नई दिल्ली रावी, सतलुज और बीस नदी के जल प्रवास को जबरन रोकता है तो हम अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत का रुख करेंगे।”
भारत जल आक्रमकता दिखा रहा
सिंधु जल की स्थायी समिति के अधिकारी ने आरोप लगाया कि भारत निरंतर जल आक्रमकता में शामिल रहा है। जिओ न्यूज़ के मुताबिक “जल एवं शक्ति मंत्रालय भारत द्वारा नदी के जल को पाकिस्तान में प्रवाहित होने से रोके जाने के क़दमों की समीक्षा कर रहा है।”
उन्होंने कहा कि “संधि के तहत भारत ऐसा नहीं कर सकता है और अगर वह ऐसा करते हैं तो हम अंतर्राष्ट्रीय अदालत का रुख करेंगे। भारत की सिंधु जल समिति ने जल को पाकिस्तान में प्रवाहित होने से रोकने के लिए उठाये गए कदम के बाबत हमें कोई सूचना नहीं दी है।”
वैश्विक अदालत का रुख
अधिकारी के मुताबिक “भारत को पाकिस्तान में प्रवाह हो रहे जल की दिशा मोड़ने में कई सालों का वक्त लग जायेगा।” पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को अलग थलग करने की योजना के तहत भारत कार्य कर रहा है। पाकिस्तान के समर्थन वाले आतंकी समूह द्वारा प्रायोजित उरी आतंकी हमले के बाद से ही नितिन गडकरी सिंधु नदी के पानी को रोकने की मांग कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री का बयान
श्री नितिन गडकरी जी का पाकिस्तान को दो टूक। pic.twitter.com/RZvAlMKXN1
— Office Of Nitin Gadkari (@OfficeOfNG) February 22, 2019
भारत के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरूवार को कहा कि पूर्वी नदियों से पाकिस्तान की तरफ बह रहे जल की दिशा को मोड़कर जम्मू-कश्मीर और पंजाब की तरफ मोड़ देंगे, यह निर्णय नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने लिया है।नितिन गडकरी ने कहा कि “रावी नदी के शाहपुर कांदी पर बाँध के निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है। यह प्रोजेक्ट हमारे हिस्से के जल को संरक्षित करेगा और जम्मू-कश्मीर उसे इस्तेमाल करेगा और संतुलित मात्रा में जल सेकंड रावी, बीस लिंक में जायेगा।”
इसकी प्रतिक्रिया में पाक के जल संसाधन मंत्रालय ने कहा कि अगर भारत सिंधु नदी पर अपने हिस्से के जल को पाक में बहने से रोकना चाहता है तो इस पर न ही हमे कोई आपत्ति है और न ही कोई परेशानी है। उन्होंने कहा कि “हमें न इससे आपत्ति है और न ही इसकी चिंता है। अगर भारत पूर्वी नदी के जल के बहाव को मोड़ना चाहता है और अपनी आवाम के इस्तेमाल या अन्य योजनाओं के लिए इस्तेमाल करना चाहता हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं है, सिंधु जल संधि उन्हें इसकी इजाजत देती है।”