पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक आतंकवाद रोधी अदालत ने कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के 86 सदस्यों व समर्थकों को कुल मिलाकर 4738 साल की कैद की सजा सुनाई है। इन सभी को 55-55 साल कैद की सजा सुनाई गई है। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि जिन लोगों को सजा सुनाई गई है उनमें टीएलपी प्रमुख खादिम हुसैन रिजवी का भाई अमीर हुसैन रिजवी और भतीजा मोहम्मद अली भी शामिल हैं। यह सभी जेल में अपनी आगे की जिंदगी के 55 साल बिताएंगे।
इसी के साथ अदालत ने इन सभी पर कुल मिलाकर 1,29,25000 (पाकिस्तानी) रुपये का जुर्माना भी ठोंका है। जुर्माना नहीं चुकाने पर इन सभी 86 दोषियों को कुल मिलाकर 146 साल और कैद भुगतनी होगी तथा इनकी चल-अचल संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।
गुरुवार रात फैसला सुनाए जाने के बाद इन सभी को एटक स्थित जेल में बंद कर दिया गया।
ईशनिंदा मामले में निचली अदालत द्वारा एक ईसाई महिला आसिया बीबी को दी गई फांसी की सजा को रद्द कर उन्हें रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ टीएलपी व अन्य धार्मिक संगठनों ने देश में हिंसक प्रदर्शन किए थे।
इस मामले में नवंबर 2018 में अपने नेता खादिम हुसैन रिजवी की गिरफ्तारी के बाद टीएलपी सदस्य सड़कों पर उतर आए थे और भारी उपद्रव मचाया था। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था और सुरक्षाकर्मियों से हिंसक झड़पों में शामिल हुए थे। इन पर अन्य कानूनी धाराओं के साथ-साथ आतंकवाद निरोधक कानून की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी मुकदमे में गुरुवार रात अदालत ने यह सख्त फैसला सुनाया।