फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स ने इस्लामाबाद से कहा है कि “अगर अक्टूबर 2019 तक पाकिस्तान नेशनल एक्शन प्लान को पूरा करने में असफल रहता है तो उसे काली सूची में डाल दिया जायेगा।” बीते वर्ष जुलाई में आतंक विरोधी अंतरराष्ट्रीय निगरानीकर्ता समूह की ग्रे सूची में डाला गया था और 27 बिंदुओं का ए.क्शन प्लान दिया गया था।
ग्रे सूची किसी राष्ट्र को चेतावनी देने के लिए होती है जब वह आतंकी वित्तीय सहायता और हवाला के मामलो को रोकने में विफल होते हैं। इस हफ्ते की शुरुआत में आयोजित समीक्षा बैठक में पाकिस्तान 27 में से 25 बिंदुओं को पर नाकाम साबित हुआ था।
एफएटीएफ की बैठक 16 से 21 जून तक फ्लोरिडा में आयोजित हुई थी। कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखे जाने पर सहमति जताई गयी थी। चीन के हुआंगज़्हाओ में आयोजित दूसरी समीक्षा बैठक में एफएटीएफ द्वारा बनाये गए एशिया पैसिफिक ग्रुप ने इस्लामाबाद से कहा था कि “उसे काली सूची में शामिल न होने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। जिसका मतलब अंतरराष्ट्रीय वित्त के सभी दरवाजों को बंद करना है।”
पाकिस्तान को काली सूची में शामिल करने के लिए भारत काफी कोशिश कर रहा है लेकिन अन्य की राय है कि पाकिस्तान को ग्रे सूची में ही बरक़रार रखा जाए ताकि कार्रवाई के लिए निरंतर उस पर दबाव बनाया जा सके। फरवरी 2018 में पाक को ग्रे सूची में डाला गया था जब भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की नयी सूचना दी थी।
पाकिस्तान को अगर काली सूची में डाल दिया जाता है तो उसके लिए वित्त चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो जायेगा। इस्लामाबाद अभी कई वैश्विक संस्थाओं से सहायता के लिए बातचीत कर रहा है। पाकिस्तान ने जमात उद दावा, फलाह ए इंसानियत, जैश ए मोहम्मद की 800 सम्पत्तियों को जब्त कर लिया है और उसके कई नेताओं को भी गिरफ्तार किया है।
अलबत्ता, सिर्फ यह कदम पर्याप्त नहीं है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान से कई चीजों को समझाने के लिए कहा है मसलन, इन आतंकी संस्थाओं को मिलने वाली मदद के स्त्रोत क्या है। पाकिस्तान ने आतंकी संपत्ति जैसे, हथियार, विस्फोटकों और शिविरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।