पाकिस्तान के प्रांत पंजाब में टोबा टेक सिंह जिले के ईसाई धर्मगुरुओं व अन्य नेताओं ने अपने समुदाय के कई लोगों को आतंकवाद रोधी कानून के तहत फंसाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि अगर इस मामले को रद्द नहीं किया गया तो समुदाय पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन पर बाध्य होगा।
बिशप जॉन सैमुअल ने एक प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि जिले के चक 281-जेबी दवाखरी की क्रिश्चियन कालोनी के 15 नामजद और 30 अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस ने आतंकवाद रोधी कानून के तहत ‘अन्यायपूर्ण’ तरीके से मामला दर्ज किया है।
गोजरा नाम की जगह पर चर्च ऑफ पाकिस्तान के परिसर में ईसाई समुदाय के अन्य नेताओं के साथ बिशप सैमुअल ने मीडिया से बात की। उन्होंने बताया कि बीती पांच दिसंबर को पुलिस ने समुदाय के साजिद मसीह के विवाह से जुड़ी मेहंदी की रस्म के मौके पर छापा मारा, लोगों को पीटा और उनके कीमती सामानों को क्षति पहुंचाई। कई मेहमान जख्मी हो गए। पुलिस ने दूल्हे के कई रिश्तेदारों को गिरफ्तार कर लिया।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने घायलों को अस्पताल से मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट भी नहीं लेने दिया। बिशप ने मांग की कि आतंकवाद रोधी कानून की धारा सात के तहत दायर ‘झूठे और मनगढ़ंत’ आरोपों को खारिज करते हुए एफआईआर को तुरंत रद्द किया जाए। अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो ईसाई समुदाय पुलिस के खिलाफ ‘विरोध के अन्य तरीकों’ को अपनाएगा।
चर्च ऑफ पाकिस्तान के परिसर में ईसाई समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
साजिद मसीह के भाई जावेद मसीह ने संवाददाताओं से कहा कि पुलिस उन पुलिसवालों पर मामला नहीं दर्ज कर रही है जिन्होंने उनके परिजनों के साथ अत्याचार किया है। वह इस मामले को पुलिस के वरिष्ठ अफसरों के समक्ष उठाएंगे।
पुलिस ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि साजिद मसीह के मेहंदी समारोह में कुछ मेहमान हर्ष फायरिंग कर रहे थे। पुलिस जब उन्हें रोकने के लिए गई तो उन्होंने पुलिस पर हमला किया। दवाखरी पुलिस चौकी के प्रभारी और एक कांस्टेबल की हड्डियां टूट गई हैं जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।