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    मशाल खान

    पाकिस्तान में पिछले साल अप्रैल में ईशनिंदा के झूठे आरोपों की वजह से एक छात्र की निर्मम हत्या की गई थी। ईशनिंदा का आरोप लगाते हुए पिछले साल विश्वविद्यालय के सैकडों छात्रों ने ही मिलकर निर्दोष छात्र की बेरहमी से पीटकर व गोली चलाकर हत्या की थी। जिसके बाद अब कोर्ट ने एक दोषी को फांसी की सजा और पांच को उम्र कैद की सजा सुनाई है।

    छात्रो की भीड़ ने आरोप लगाया था कि पत्रकारिता के छात्र मशाल खान ने इस्लाम को अपमानित किया था। ख़ैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में अपने अब्दुल वली खान विश्वविद्यालय के छात्रावास की दूसरी मंजिल वाली खिड़की से छात्र मशाल खान को नंगा करके बुरी तरह पीटा और नीचे फेंक दिया था। इतना ही नहीं निर्ममी हत्यारों ने मशाल खान को गोलियों से भी भून दिया था। लेकिन मशाल खान का कोई कसूर तक नहीं था।

    इस घटना के बाद भारी संख्या में लोगों ने विरोध दर्ज करवाया था। अब हाल ही में आतंकवाद निरोधक अदालत के न्यायाधीश फजल सुभान ने सुरक्षा कारणों की वजह से हरिपुर की जेल में फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी इमरान अली को फांसी की सजा सुनाई।

    जबकि पांच लोगों को जेल में उम्रकैद की सजा सुनाई। मामले के कुल 57 आरोपियों को अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसमें 25 को चार वर्ष जेल की सजा सुनाई जबकि 26 अन्य को बरी कर दिया।

    अदालत के फैसले के बाद मशाल खान की मां ने रोते हुए कहा कि यह फैसला अपराध की गंभीरता को प्रदर्शित नहीं करता है। मेरे बेटे को हर हड्डी को तोडा गया और बुरी तरह से पीटा गया। मेरे बेटे की क्रूर हत्या की गई। वो मेरा खून था इसलिए मां होने के नाते दर्द मुझे महसूस हो रहा है।

    ईशनिंदा के ऐसे मामले पहले भी हो चुके है

    मशाल खान की मां ने कहा कि पुलिस जांच में भी साबित हो चुका है कि मेरे बेटे मशाल ने इस्लाम के अपमान में कुछ भी नहीं लिखा है। खान को सार्वजनिक रूप से सुलभ कब्रिस्तान में दफनाया गया था। लेकिन धार्मिक कट्टरपंथियों का कहना है कि वे कब्र में से उसके अवशेषों को जला देना चाहते है।

    मशाल खान को जब कब्र में दफनाया गया था तो आम लोगों की आत्मा मर चुकी थी और कोई भी उसके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ था। पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लेकर पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके है।

    2011 में, एक पुलिसकर्मी कादरी ने पंजाब प्रांत के गवर्नर को गोली मार हत्या कर दी थी। कादरी को 2016 में फांसी दी गई थी। जिसके अंतिम संस्कार में हजारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा भी लिया था।