पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर यूरोपीय संघ ने चिंता व्यक्त की है। ईयू ने पाकिस्तान को धमकी दी कि यदि वह विघटित और भेदभाव प्रणाली को खत्म नहीं करता तो सभी सब्सिडी और व्यपार प्राथमिकता को खत्म कर दिया जायेगा।
मंगलवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को लिखे पत्र में यूरोपीय संसद के 51 सदस्यों ने कहा कि “पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तानी मुल्क की मदद से धार्मिक चरमपंथी समूहों ने अपने प्रभाव में वृद्धि की है और अल्पसंख्यकों के साथ धार्मिक पक्षपात किया है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हमले और उनके पूजा स्थलों हमलो की वारदात एक साल में काफी बढ़ी है।”
उन्होंने कहा कि “सदन के सदस्य होने के नाते हम इस्लामिक रिपब्लिक पाकिस्तान को याद दिलाना चाहते हैं कि अल्पसंख्यकों पर आक्रमक रवैया युनिवर्सल डेक्लेरेशन ऑन ह्यूमन राइट्स पर हुई संयुक्त राष्ट्र संधि का उल्लंघन है और यह इंटरनेशनल कान्वेंट ऑन सिविल एंड पोलिटिकल राइट्स की नींव है। जब तक पाकिस्तान की सरकार इस संधि पर प्रभावी अमल को सुनिश्चित नहीं कर देती, हम सभी सहायता और व्यापार प्राथमिकताओं को को स्थगित करने के लिए सक्षम है।”
परिषद् ने कहा कि “पाकिस्तान की पूर्ववर्ती और मौजूदा सरकार इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई में योगदान देने और प्रोत्साहित करने के लिए उत्तरदायी है। आसिया बीबी के मामले पर उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त की है। एक ईसाई महिला जिन पर ईशनिन्दा यानी अल्लाह के अपमान का गलत आरोप लगाया गया था।”
ईयू ने कहा कि “इस तरह के भेदभावपूर्ण कानून नागरिकों को गैर मुस्लिमों के साथ असहिष्णु और हिंसक कार्रवाई करने के लिए उत्तेजित करते हैं।” मूवमेंट फॉर सॉलिडेरिटी एंड पीस इन पाकिस्तान एनजीओ की रिपोर्ट के मुताबिक, ईसाई और हिन्दू अल्पसंख्यक धर्म की प्रतिवर्ष 1000 नाबालिग लड़कियों का अपहरण किया था और मुस्लिम युवकों के साथ निकाह करने के लिए मज़बूर किया जाता है।