लंदन, 19 जुलाई (आईएएनएस)| पाकिस्तान को 2013 से 2018 के बीच ब्रिटेन से मिली मदद की संसदीय जांच के बीच इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि पाकिस्तान को अगले साल ब्रिटेन से मिलने वाली आर्थिक मदद में बेहद कमी आ सकती है।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इसके साथ ही ब्रिटेन में बढ़ती गरीबी और देश की सरकार पर ब्रेक्सिट के मुद्दे पर राजनैतिक तनाव के बीच विदेशी सहायता में कटौती के भारी दबाव के कारण भी पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद में कटौती हो सकती है।
ब्रिटिश संसद की अंतर्राष्ट्रीय विकास समिति (आईडीसी) के एक सूत्र ने कहा कि पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (डीएफआईडी) के सहायता कार्यक्रम की आईडीसी द्वारा की जा रही जांच में इस मदद के खर्च के तौर तरीके की पड़ताल की जा रही है। उन्होंने साथ ही इस बात की पुष्टि की कि सरकार पर इस बात के लिए भारी दबाव है कि वह पाकिस्तान समेत अन्य देशों को दी जाने वाली मदद को या तो रोक दे या इसमें भारी कटौती करे।
सूत्र ने जियो न्यूज से कहा कि इस मामले में अंतिम निर्णय सरकार द्वारा अगले साल मदद कार्यक्रम की जांच की रिपोर्ट को जारी करने के बाद लिया जाएगा।
पाकिस्तान को दी जाने वाली ब्रिटिश मदद पहले ही 2018-19 के 32.5 करोड़ पाउंड से घटाकर 2019-20 के लिए 30.2 करोड़ पाउंड कर दी गई है।
तीन हफ्ते पहले आईडीसी ने ऐलान किया था कि वह इस बात की जांच कर रही है कि क्या पाकिस्तान को दी जा रही युनाइटेड किंग्डम की आर्थिक मदद का रणनीतिक लक्ष्य स्पष्ट और सही है। साथ ही इस मदद का पाकिस्तान के हर हिस्से पर कैसा प्रभाव है और बीते चार साल में यह कितनी प्रभावी रही है।
ब्रिटेन में मीडिया का एक हिस्सा पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर लगातार सवाल उठा रहा है। बीते रविवार को डेली मेल ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि पाकिस्तान में डीएफआईडी की एक परियोजना में भ्रष्टाचार है। अखबार ने आरोप लगाया कि डीएफआईडी की आर्थिक मदद का एक हिस्सा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ के परिवार के एक सदस्य के बैंक खाते में डाल दिए गए थे।
शहबाज ने इस आरोप को सिरे से गलत बताते हुए ब्रिटिश अखबार के खिलाफ मामला दर्ज कराने की बात कही है।