आर्थिक कर्ज में डूबे हुए पाकिस्तान नें अब मदद के लिए अमेरिका से गुहार लगायी है। पाकिस्तान का कहना है कि यदि अमेरिका आर्थिक मदद भेजना शुरू कर देता है, तो पाकिस्तान तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करेगा।
जाहिर है इस साल के शुरुआत में डोनाल्ड ट्रम्प के कहने पर अमेरिका नें पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता बंद कर दी थी। इसका कारण डोनाल्ड ट्रम्प नें बताया था कि पाकिस्तान आर्थिक मदद लेने के बावजूद भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद नहीं करता है।
पाकिस्तान नें उस समय डोनाल्ड ट्रम्प की काफी निंदा की थी, लेकिन अब कर्ज में बुरी तरह से डूब जाने के बाद पाकिस्तान नें फिर से अमेरिका का दरवाजा खटखटाया है।
पाकिस्तान की ओर से अमेरिका को कहा गया है कि वह अफगानिस्तान में चल रहे युद्ध में अमेरिका का पूरी तरह से साथ देगा, यदि अमेरिका उसकी आर्थिक मदद करे और पाकिस्तान पर आरोप लगाना बंद कर दे।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी नें हाल ही में वाशिंगटन का दौरा किया था, जहाँ उन्होनें पाकिस्तान के नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान की नीतियों के बारे में अमेरिका को अवगत कराया।
उन्होनें बताया कि किस तरह इमरान खान आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए तत्पर हैं।
तालिबान को पाकिस्तान का समर्थन
जाहिर है 1990 के दशक में सोवियत संघ के टूटने के बाद अफगानिस्तान जैसे देशों में सत्ता की कमी होने की वजह से कई आतंकवादी संगठन पनपने लगे थे। इनमें तालिबान एक बड़ा नाम था।
पाकिस्तान नें तालिबान की मदद से भारत के कश्मीर में स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश की, जिसमें वह लगातार विफल रहा था। इसी दौरान भारत और पाकिस्तान की सीमा पर कई बार सीमा उल्लंघन हुआ।
पाकिस्तान और अन्य कई देशों से आर्थिक मदद मिलने से तालिबान काफी शक्तिशाली हो गया था, जिसके चलते तालिबान नें ओसामा बिन लादेन के निर्देश पर सितम्बर 2001 में अमेरिका पर हमला कर दिया था, जिसमें हजारों लोगों की जानें गयी।
उस समय अमेरिका में जॉर्ज बुश राष्ट्रपति थे, जिन्होनें इसके तुरंत बाद अफगानिस्तान में तालिबान के विरुद्ध जंग छेड़ दी थी।
इस जंग में अमेरिका नें पाकिस्तान को एक अहम् साथी देश माना था, जिसके चलते अमेरिका नें पाकिस्तान को हर साल अरबों डॉलर दिए थे।
पाकिस्तान नें हालाँकि इस आर्थिक मदद की परवाह ना करते हुए तालिबान को अपना समर्थन जाहिर रखा। इसका एक बड़ा सबूत यह है कि ओसामा बिन लादेन को जब अमेरिका नें ढूंढा था, उस समय वह पाकिस्तान में ही था।
ट्रम्प सरकार का नजरिया
अमेरिका में जब से डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति बने हैं, उन्होनें लगातार पाकिस्तान पर जुबानी हमले किये हैं।
पिछले साल जब ट्रम्प नें अमेरिका की एशिया नीति के बारे में चर्चा की थी, तब उन्होनें कहा था कि पाकिस्तान लगातार आतंकवादियों के लिए शरण का काम कर रहा है।
इसके बाद इस साल के शुरुआत में ट्रम्प नें ट्विटर के जरिये पाकिस्तान पर बड़ा हमला बोला, जब उन्होनें कहा कि अमेरिका नें सालों से पाकिस्तान को अरबों डॉलर की सहायता राशि दी है, लेकिन पाकिस्तान नें उन्हें धोखा दिया है।
https://twitter.com/realDonaldTrump/status/947802588174577664
इसके तुरंत बाद मई के महीनें में अमेरिका के विदेश सलाहकार माइक पोम्पियो नें घोषणा की थी कि अमेरिका नें पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद पूरी तरह से बंद कर दी है।
वर्तमान बातचीत
अब हालाँकि पाकिस्तान लगातार कोशिश कर रहा है कि अमेरिका उसे फिर से आर्थिक मदद देना शुरू कर दे।
अमेरिका में पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी नें कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिका की विफलता का पूरा जिम्मा पाकिस्तान पर नहीं डालना चाहिए और अफगानिस्तान की सरकार भी इसमें उतनी ही जिम्मेदार है।
उन्होनें कहा कि, ‘ऐसा नहीं है कि अमेरिका को अफगानिस्तान में अब तक सफलता ना मिली हो। अमेरिका नें काफी कुछ हासिल किया है और इसमें पाकिस्तान का बड़ा हाथ है।’
अमेरिका का रुख
अमेरिका नें इस बारे में कुछ नम्रता दिखाई है और माइक पोम्पियो नें कहा है कि अमेरिका कुछ शर्तों के बाद आर्थिक मदद आरम्भ कर सकता है।
डोनाल्ड ट्रम्प नें हालाँकि इस बारे में अपनी ओर से कुछ नहीं कहा है।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की सभा के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री नें कहा था कि उन्होनें डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की और बातचीत की, जिसपर अमेरिकी मंत्रालय नें कहा कि ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है।