पाकिस्तान का आतंकवाद को समर्थन और परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल दक्षिण एशिया की हालात को अस्थिर और चिंतित कर देगा। यूएन सुरक्षा परिषद् के समानांतर हो रही बैठक में विशेषज्ञों के पैनल ने यह बात कही थी। जानकारों ने यह चिंता पुलवामा आतंकी हमले के बाद जाहिर की है।
टेररिज्म एंड न्यूक्लियर सिक्योरिटी इन साउथ एशिया की कांफ्रेंस के इतर पैनल में पूर्व राजनीतिज्ञ और स्वतंत्र सैन्य रिसर्चरस थे। यह आतंकवाद और परमाणु सुरक्षा के क्षेत्र के जानकार है।
ANI के मुताबिक समारोह में यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियाई स्टडीज के डायरेक्टर जुनैद कुरैशी ने कहा कि “भारत पाकिस्तान की सरजमीं पर गया और जेईएम के शिविरों को तबाह कर दिया। पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दावा कर रहा है और खुद को आतंकवाद का पीड़ित बताता रहा है।”
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान को भारत का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उन्होंने आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। पाकिस्तान ने बदले के लिए एफ-16 का इस्तेमाल किया था। क्या इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जो आतंकियों और आतंकी समूहों को बचाने के लिए जंग करने के इच्छुक है।”
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान आतंकियों को संरक्षित करने के लिए परमाणु हथियारों को इस्तेमाल करने की धमकी दे रहा है। कई सांसद और मंत्री यह धमकिया दे रहे हैं जो बेहद लापरवाही हालात हैं कि एक परमाणु संपन्न देश अपनी संसद से परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की धमकी दे रहा है, क्योंकि उसके देश में आतंकियों पर हमला किया गया था।”
लोवेन यूनिवर्सिटी में लेक्चरर डॉक्टर डोरोथी वंदममे ने कहा कि “इस घृणित अपराध ने साबित कर दिया कि दक्षिण एशिया के हालत परिवर्तनशील है। उस क्षेत्र में खासकर पाकिस्तान में चरमपंथ की लगातार वृद्धि हो रही है और यह खतरा है। यह असल खतरा है। हमें इसके बाबत सचेत रहना होगा और हालातों पर कार्य करना होगा।”
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तानी मिलिट्री की स्थापना और आतंकी समूहों के बीच नाता आतंकी संगठनों के प्रति सहानुभूति है। पाकिस्तानी में अतिवादी तत्वों की वृद्धि हो रही है। इसके कारण चरमपंथी और आतंकवादी अपने घृणित विचारों को व्यक्त कर रहे हैं।”