भारत (India) और चीन (China) के बीच अफगानिस्तान (Afghanistan) के मामले पर नियमित चर्चा जारी है। पाकिस्तान (Pakistan) द्वारा प्रशिक्षित ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के लड़ाके बीजिंग के सुरक्षा हितों के लिए खतरा है।
ईटीआईएम के साथ लश्कर ए तैयबा और हक्कानी नेटवर्क को अमेरिका के राज्य विभाग ने आतंकी समूहों की सूची में डाल दिया है जो अफगानिस्तान में विदेशी सैनिको के लिए सबसे बड़ा खतरा है। पहली तिमाही में आयी रिपोर्ट के मुताबिक, ईटीआईएम के अफगानिस्तान में 100 से अधिक लड़ाके मौजूद है।
इस मामले से जुड़े व्यक्ति ने बताया कि हाल ही में भारत और चीन की बैठक के दौरान बीजिंग ने अपनी चिंता को व्यक्त किया था। अफगानिस्तान के पक्ष भी इन चिंताओं से अवगत है। करीब 50 से 60 लड़ाकों को हिरासत में लेकिन चीनी सरकार के हवाले कर दिया गया था।
ईटीआईएम और पाकिस्तान से सक्रिय उसके कई आला नेताओं को अमेरिका और यूएन की 1267 प्रतिबंध कमिटी ने आतंकवादी समूह करार और व्यक्ति करार दिया है। पाकिस्तान में साल 2003 मर अलकायदा के ठिकाने पर हमले के दौरान इस आतंकी समूह के संस्थापक हसन महसुम की हत्या की जा चुकी है।
चीनी मीडिया की साल 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समूह का उप संस्थापक मेमेतुहूत मेमेट्रोज़ी चीनी सरकार की कैद में हैं और इसे पाकिस्तानी मदरसे में प्रशिक्षण दिया गया था। चीन की तरह भारत भी अफगानिस्तान से अमेरीकी सैनिको की वापसी के विरोध में हैं। भारत व्यवस्थित और बेहतर प्रबंधित तरीके से सैनिको की वापसी के पक्ष में हैं जो अफगान में खाली स्थान न छोड़े।
चीन ने पाकिस्तान से आतंकवाद की इस समस्या का निपटान करने को कहा है जो पाक सरजमीं से संचालित होता है।