बुधवार को अमेरिका ने पाकिस्तान सरकार की निंदा करते हुए कहा कि वह पाकिस्तान में पांव पसार रहे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनो पर नकेल कसने में विफल रही है।
अमेरिका ने कहा ये आतंकवादी समूह उपमहाद्वीप में तहलका मचा रहे हैं और इस मुद्दे पर पाकिस्तान ने अमेरिका को इत्तलाह करने की जहमत तक नहीं उठाई।
अमेरिका साल 2017 में आतंकवाद को लेकर चिंतित था। अमरीका द्वारा आतंकवाद पर जारी की गई 2017 की रिपोर्ट में कहा है कि अफगानिस्तान के अल-कायदा समूह और पाकिस्तान के संगठन के कारण वैश्विक नेतृत्व की छवि धूमिल हुई है।
उन्होंने कहा अल कायदा समूह अन्य क्षेत्रों को रिमोट कंट्रोल से संचालित कर रहा है।
पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा की कई इलाकों में तांकझांक जारी है।
रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त 2017 से दिसंबर तक पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ हिलहवाली रवैये के कारण अमेरिका ने आर्थिक सैन्य सहायता पर रोक लगा दी थी। अमेरिका ने कहा हक्कानी और अन्य आतंकी समूह उनके पैसे पर मौज़ उड़ा रहे है।
पाकिस्तान ने वांशिगटन को साल 2017 में इन समस्याओं से अवगत नही कराया।
अमेरिका ने बताया कि पाक सरकार का अफगान तालिबान और अफगान सरकार के बीच राजनैतिक गठबंधन कराना समझ से परे है।
इस्लामाबाद ने अफगान के तालिबान और हक्कानी आतंकी संगठनों को अपने सुरक्षित इलाकों में रिमोट कंट्रोल गेम खेलने के लिए पनाह दे रखी है।
ये समूह अफगानिस्तान की फौज और अमेरिका को आंख दिख रहे है।
पाकिस्तान ने आतंकी समूहों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की लिहाजा वे आराम से ट्रेनिंग का आयोजन औऱ अन्य इलाकों को ऑपरेट कर रहे है।
अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जैश-ए-मोहम्मद के सरगना हाफ़िज़ सईद को पाकिस्तान सरकार ने जनवरी 2017 में रिहा कर दिया हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने सईद को नवंबर 2017 तक घर मे नज़रबंद रखा।
उन्होंने कहा पाक की आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की रणनीति नाकाफी हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आतंकी संगठनों पर लगाये प्रतिबंधों के बावजूद पाकिस्तान उनकी आर्थिक मदद रोकने में असमर्थ रहा है।