भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद का गढ़ बताते हुए पलटवार किया कि इस्लामाबाद ने यूएन मंच का गलत इस्तेमाल भारत के खिलाफ बेबुनियादी और धोखेबाज बयानबाजी के लिए कर रहा है। यूएन में पाकिस्तान के राजदूत मलीहा लोधी ने जनरल असेंबली के सत्र में कश्मीर मुद्दे को उठाया था।
पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़
लोधी ने कहा कि “जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निष्प्रभावी करने की भारत की कार्रवाई सुरक्षा परिषद् के प्रस्तावों का सरासर उल्लंघन है। सुरक्षा परिषद् को भारत को कर्फ्यू हटाने, संपर्क को खत्म करने और कैदियों को रिहा करने के लिए दबाव बनाना चाहिए।”
भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव संदीप कुमार बय्यापू ने गुरूवार को कहा कि “मेरे देश के बारे में बेबुनियादी और धोखेबाज कहानियो को फ़ैलाने के लिए एक प्रतिनिधि ने इस मंच का एक बार फिर गलत इस्तेमाल किया है। ऐसी कोशिशे न पहले सफल हुई थी और अन ही अब होगी। सच यह है कि प्रतिनिधि ने यो ज्योग्राफिकल स्पेस को प्रदर्शित किया है जिन्हें अब आतंकवाद के गढ़ के तौर पर जाना जाता है। ऐसे बेबुनियादी झूठ का जवाब देकर हम इसका सत्कार नहीं करेंगे।”
सुरक्षा परिषद् की रिपोर्ट पर बय्यापू ने कहा कि “व्यापक सदस्यता के विचारों और इरादों को यह परिषद् नहीं दर्शाती करती है। अन्य दूसरो की तरह हमे भी लगता है कि सुरक्षा परिषद् के व्यापक सुधार ही एकमात्र इलाज है, यह स्थायी और गैर स्थायी वर्गों के इर्द गिर्द घूमता है।”
उन्होंने कहा कि “वार्षिक रिपोर्ट पर बहस एक परंपरा बन चुकी हिया और औपचारिकताओं की सूची में शुमार है। संयुक्त राष्ट्र के की सबसे महत्वपूर्ण प्रतिनिधि अंग और सशक्त संस्था के बीच जुड़ाव को पुनर्जीवित करने की जरुरत है। सुरक्षा परिषद् की वार्षिक रिपोर्ट में रिपोर्टिंग पीरियड के दौरान अंतररष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा को बरक़रार रखने के निर्णय का आंकलन, रेखांकित और जानकारी होनी चाहिए।”
बय्यापू ने चिंता व्यक्त की कि रिपोर्ट में न सिर्फ सार की कमी थी बल्कि इसे वर्ष के अंत में पेश किया गया था जिसके कारण एक उचित चर्चा नहीं की जाती है। इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। रिपोर्ट को पूरा करने के लिए एक निश्चित समयसीमा होनी चाहिए। इसे सभी सदस्यों को सौंपना चाहिए और सत्र के अंत की बजाये शुरू में इस पर चर्चा की जानी चाहिए।”
जनरल असेंबली के 74 वें सत्र की शुरुआत अगले हफ्ते से होगी और इसके बाद वार्षिक उच्च स्तर के सत्र की शुरुआत होगी। बय्यापू ने निशाना व्यक्त की कि सुरक्षा परिषद् की सलाना रिपोर्ट में यूएन पीसकीपिंग मिशन के बारे में आंकलन की कमी है, जो अंतरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा को कायम रखने के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने कहा कि “कैसे पासकीपिंग अभियानों को चलाया जा रहा है इसके बारे में बेहद कम सूचना है, वे किन दिक्कतों का सामना कर रहे हैं , क्यों कुछ आदेश को परिवर्तित या तय किया गया है और कब और कैसे वे मज़बूत या खत्म होंगे। उन्होंने सुरक्षा परिषद् और सैनिको का योगदान देने वाली सेना के बीच बेहतर साझेदारी पर जोर दिया है क्योंकि अधिकतम सेना गैर परिषद् के सदस्यों ने दी है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय शान्ति के लिए अपने सैनिको की जान को जोखिम में डाल रखा है।”