पाकिस्तान को अंतररष्ट्रीय मुद्रा कोष से दोगुना रकम अगले तीन वर्षों में चीन को लौटानी है। वित्तीय खाई को पाटने के लिए पाकिस्तान ने काफी कर्ज लिया है। दक्षिण एशियाई राष्ट्र ने चीन से साल 2022 तक ले लिए 6.7 अरब डॉलर का व्यावसायिक कर्ज लिया हुआ है।
आईएमएफ ने पाकिस्तान को ऋण जाल से बचाने के लिए बेलआउट पैकेज को मंज़ूरी दी थी। पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के इसी समयसीमा में 2.8 अरब डॉलर वापस लौटाने हैं। चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के सबसे बड़े लाभार्थियों में पाकिस्तान शुमार है। वित्तीय संकट से बचने के लिए इस्लामाबाद ने बीजिंग से कर्ज लिया और यह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को रफ्तार पर लाने के लिए पर्याप्त नहीं था।
वित्तीय संकट ने दक्षिण एशियाई राष्ट्र को आईएमएफ के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया था। ऑप्टिमस कैपिटल मैनेजमेंट प्राइवेट के प्रमुख हाफिज फैजान अहमद ने कहा कि “बीआरआई की शुरुआत के बाद कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी।”
उन्होंने कहा कि “जब डोलर गोता लगा रहा है था तो दो साल पहले भारी मात्र में कर्ज लेना शुरू कर दिया गया था और इसके बाद सरकार का कर्ज लेने का सिलसिला नहीं थमा। सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट की बीते वर्ष की रिपोर्ट में पाकिस्तान को उन आठ राष्ट्रों में शुमार किया है जो बेल्ट एंड रोड योजना के तहत कर्ज की समस्या से जूझ रहे हैं।
सओस यूनिवर्सिटी ऑफ़ लन्दन में पाकिस्तान पर अध्ययन करने वाले एक सदस्य बुर्ज़िन वाघमार ने कहा कि “चीनी कर्ज को लेकर अब वह कम अवधि के समझौते पर दस्तखत करने की तरफ देख रहे हैं। यह बगैर इसके माध्यम को पहचाने और लम्बे समय के प्रभावों को नजरअंदाज कर किया जा रहा है