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    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान

    आर्थिक मंदी की मार झेल रहे पाकिस्तान ने निर्णय लिया है कि बैलआउट पैकेज के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के दरवाजे पर दस्तक देंगे। पाकिस्तान ने काफी विलम्ब और हिचकिचाहट के बाद आर्थिक किल्लत को संतुलित करने के लिए पाकिस्तान ने आईएमएफ की ओर रुख करने का फैसला लिया।

    वित्त मंत्री असद उमर ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान से विचार-विमर्श के बाद उन्होंने इस फैसले को हरी झंडी दिखा दी है। पाकिस्तान जल्द ही आईएमएफ से बातचीत शुरू करेगा।

    इस प्रस्ताव को पास करने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान पूर्व में अर्थव्यवस्था को संतुलित करने के लिए आईएमएफ के द्वार पर जाने की रणनीति का विरोध करते आये हैं।

    असद उमर ने कहा कि देश की आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए पाकिस्तानी सरकार ने यह निर्णय लिया है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान अपने सहयोगी देशों से भी मदद की गुहार लगाएगा साथ ही पाकिस्तानी एनआरआई से डोनेशन देने के लिए आग्रह करेगा।

    पाकिस्तान का प्रतिनिधि समूह 12 से 14 अक्टूबर तक आईएमएफ और विश्व बैंक से इण्डोनेशिया में सालाना बैठक के दौरान मिलेंगे। इस बैठक में असद उमर बैलआउट पैकेज के विषय में चर्चा करेंगे।

    सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए पीटीआई सरकार को 9 बिलियन डॉलर रहत राशि की आवश्यकता होगी।

    पाकिस्तान की सरकार के आईएमएफ के द्वार पर जाने के लिए विपक्षी पार्टियों ने निशाना साधा है। आलोचकों ने कहा कि जुलाई में चुनाव जीतने के बाद पाकिस्तानी पीएम ने आईएमएफ की तरफ रुख करने में विलंब कर दिया जबकि पाकिस्तान कर्ज के तले दबा जा रहा है।

    ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान साल 1980 से 12 आईएमएफ बैलआउट पैकेज ले चुका है। पिछले बार साल 2013 में पाकिस्तानी सरकार ने 6.6 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया है। आईएमएफ ने यह कर्ज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को संतुलित और वृद्धि दर बढ़ाने के लिए मुहैया कराया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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