पाकिस्तान आर्थिक घाटे की खाई को भरने के लिए आर्थिक सहायता की मांग कर रहे हैं। अमेरिका ने कहा कि पाकिस्तान को चीनी कर्ज का खुलासा करना होगा। पाकिस्तान ने 12 बिलियन डॉलर के बैलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ शरण ली थी। डेविड मल्पस ने ट्रम्प प्रशासन के कानून निर्माताओं से कहा कि पाकिस्तान को चीनी कर्ज का खुलासा पूरी पारदर्शिता के साथ करना होगा, जिस पर हमारा मुख्य फोकस है।
विदेशी सम्बन्ध उपसमिति से सीनेटर जेफ्फ मेर्क्ले ने पूछा कि अगर पाकिस्तान ने आईएमएफ की सहायता का इस्तेमाल चीनी कर्ज चुकाने में किया तो? अन्य सीनेटर ने कहा कि पाकिस्तान ने चीन ने काफी निवेश किया है, आंकड़ों के मुताबिक 62 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ है। पाकिस्तान को चीन और चीनी बैंकों का कर्ज चुकाना है और आईएमएफ की मदद मांग रहे है, जो 12 बिलियन डॉलर है। क्या उन्होंने अमेरिका से सुनिश्चित किया कि वह इस सहायता राशि पर रोक न लगाये।
अगर पाकिस्तान आईएमएफ पैकेज का इस्तेमाल चीनी कर्ज को चुकता करने में करता है तो यह कैसे एक अच्छी आर्थिक विकास रणनीति साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि चीन ने कर्ज की शर्तों का खुलासा नहीं किया है और न ही कर्ज के प्रकार का किया है। इसका मतलब ब्याज डर और मूल रकम को वापस किया जाना है।
अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान कोकर्ज के जाल में फंसाना कोई अनोखा नहीं है, चीन ने कई देशों को कर्ज की मुश्किल शर्ते बिना बताये लोन दिया, इसी कारण वह देश चीन को उसकी परियोजना को आसानी से पूरा करने की छूट दे रहे हैं। इस मसले को अमेरिका पेरिस क्लब, आईएमएफ के समक्ष,विश्व बैंक, जी-20 और जी-7 की बैठक में उठाएगा।
उन्होंने कहा कि कई जगह पर तो चीन ने कर्ज की शर्ते न अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की बताई है और न ही कर्जदाता के साथ साझा की है। चीन ने कर्ज का खुलासा न सार्वजानिक किया और न ही अन्तराष्ट्रीय समुदाय को इससे अवगत कराया था। उन्होंने कहा कि यह एक मसला है कि चीन कर्ज देना चाहता है लेकिन शर्तं का खुलासा नहीं करता है, यहाँ तक कि सरकार स भी इसका खुलासा नहीं करता है। उन्होंने कहा कि सांसद भी चीन के कर्ज के मॉडल के बाबत चिंतित है।