पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों विशेषकर ईसाई राज्य और गैर राज्य विभागों की तरफ से भेदभाव और उत्पीड़न का सामना कर रहा है। यह आरोप पाकिस्तान के राजनीतिक कार्यकर्ता और पाकिस्तान अल्पसंख्यक गठबंधन के सदस्य नोयल मलिक ने लगाया है।
पाक में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार
हाल ही के एक इंटरव्यू में मलिक ने कहा कि “पाकिस्तान में ईसाई उच्च स्तर के अत्याचार का सामना कर रहे हैं। सरकार उन्हें मनमाने ढंग से कैद करते हैं, गायब करते हैं और हत्याएं भी करवाते हैं। ईसाई अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है, वह सुरक्षा नहीं है। उत्पीड़न और भेदभाव व्यापक है।”
उन्होंने कहा कि “वहां ईशनिंदा कानून भी मौजूद है, बल्कि मैं महसूस करता हूँ कि दिन प्रतिदिन हालात बदतर होते जा रहे हैं और अल्पसंख्यकों के लिए पाकिस्तान में जीवित रहना मुश्किल होता जा रहा है। जहां अल्पसंख्यकों को मौत का खतरा नहीं है, वहां उनके साथ दोयम दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार किया जाता है। साथ ही रोजगार, शिक्षा और धार्मिक भावनाओं के क्षेत्र में उनके साथ भेदभाव किया जाता है।”
पाकिस्तान के विवादित ईशनिंदा कानून में अल्पसंख्यकों के जीवन को हाशिये पर पंहुचा दिया है। कानून प्रवर्तन विभाग हालातो को दर्शकों की तरह निरीक्षित कर रहा है और पूरा नियंत्रण धार्मिक चरमपंथियों के पास है। आसिया बीबी का मामला ऐसे अत्याचारों का एक उदाहरण है। जहां शीर्ष अदालत के रिहाई के निर्णय के बावजूद पीड़ित को अपना मुल्क छोड़ना पड़ता है। आसिया बीबी अब अपनी मातृभूमि से दूर कनाडा में रहने को मज़बूर है।
कट्टरपंथी करते हैं मनमानी
मलिक ने कहा कि “अल्पसंख्यकों के मौजूदा हालात के लिए जिम्मेदार इस समूह को अपराध को अंजाम देने के लिए इस्लामाबाद और सरकार का समर्थन है। आसिया बीबी के फैसले के बाद देश अराजकता, हमले और हिंसा के चंगुल में था। इन मामलो में शामिल लोग काफी ताकतवर है।”
उन्होंने कहा कि “मुस्लिमों को पाकिस्तान के संविधान में सभी अधिकार दिए गए हैं जबकि अल्पसंख्यक गलत आरोपों में गिरफ्तारी होने के डर के माहौल में जीवन यापन कर रहे हैं। लोगो में भय है कि ईशनिंदा के कानून का दुरूपयोग किया जा रहा है और आप वहां अपने अधिकारों की बात नहीं कर सकते हैं। एक देश में पैदा हुआ एक व्यक्ति अन्य लोगो की तरह उस मुल्क के सभी अधिकारों को चाहता है मसलन सुरक्षा और आज़ादी। अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव का अंत होना चाहिए।”
ह्यूमन राइट वाच ने कहा कि “धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ ईशनिंदा से सम्बंधित हिंसा बारम्बार होती है।” अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के अमेरिकी अध्यक्षता वाली समिति ने बताया कि “धार्मिक कट्टरपंथी निरंतर बगैर किसी दंड के अल्पसंख्यकों पर हमला करते हैं। हिन्दू, सिख, ईसाई और शिया मुस्लिमो के खिलाफ व्यापक स्तर पर मानव अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है।”
संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने पाकिस्तान के हालातो पर जायजा जायजा लिया था लेकिन इस मसले पर सीधे तौर पर दखलंदाज़ी करने से बचा गया है। कार्यकर्ता ने कहा कि “पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी कमजोर और अप्रभावी साबित हुई है।”