पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर नें आज बयान देते हुए कहा है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर जो संकट के बादल थे, वे अब हट गए हैं।
रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक असद उमर नें कहा कि वर्तमान सरकार मौजूद करने को कम करने की भरसक कोशिश कर रही है, और 2023 में जब सरकार का कार्यकाल खत्म होगा, तबतक कर्ज को बहुत हद तक चुका दिया जाएगा।
वित्त मंत्री असद उमर नें यह बयान इस्लामाबाद में एक सवाल-जवाब कार्यक्रम के दौरा दिया था।
असद उमर नें आगे कहा कि एक बार सरकार कर्जे को संतुलित कर देती है, उसके बाद इसे कम किया जाएगा। उन्होनें आगे कहा कि आर्थिक संकट की स्थिति से पाकिस्तान बाहर आ गया है और अब सरकार को कोशिश करनी होगी कि अर्थव्यवस्था संतुलित रहे।
असद उमर नें आगे कहा कि जब इमरान खान की सरकार आई थी, तब पाकिस्तान के भंडार खाली पड़े थे और देश पर बड़ा भारी कर्जा था। उन्होनें कहा कि राष्ट्रिय भंडारों में बढौतरी हुई है और सरकार की कोशिश है कि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जाए।
हाल ही में वित्त मंत्री असद उमर नें कहा था कि पाकिस्तान आर्थिक संकट से उबरने के लिए आईएमएफ से मदद मांग रहा है।
उन्होनें कहा था कि “बैलआउट पैकेज से सम्बंधित बातचीत सभी मसलों के हल के साथ अंतिम दौर में पंहुच चुकी है। हम समझौते के काफी करीब है और अब कोई मूल मतभेद बाकी नहीं है।”
असद उमर नें कहा था कि “अगर आईएमएफ छह अरब डॉलर के कर्ज पर हस्ताक्षर करते हैं तो पाकिस्तान इस वित्तीय वर्ष दो अरब डॉलर की राशि का भुगतान कर देगा और अगर नौ अरब डॉलर की राशि पर दस्तखत हुए तो पहली किश्त में तीन अरब डॉलर की अदाएगी होगी।”
चीन और सऊदी अरब से लिया था कर्जा
1 अप्रैल को पाकिस्तानी मंत्री नें घोषणा की थी कि पाकिस्तान को 5.1 अरब डॉलर कर्ज के रूप में मिले हैं, जिसमें से सऊदी अरब से 3 अरब डॉलर और चीन से 2.1 अरब डॉलर कर्ज के रूप में मिले हैं।
इससे पहले पिछले साल जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान चीन के दौरे पर गए थे, तब उन्होनें कहा था कि चीन पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर देने के लिए तैयार है।
पाकिस्तान पर हालाँकि कर्जा इतना ज्यादा है, कि इस मदद से उसका कुछ भी नहीं होगा।
उदाहरण के तौर पर, पिछले साल यह रिपोर्ट आई थी कि सीपीईसी की वजह से पाकिस्तान को चीन के 26 अरब डॉलर के निवेश के बदले 40 अरब डॉलर लौटाने होंगे।