भ्रष्टाचार और विवादित पनामा पेपर्स में नाम आने के चलते, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ़ को पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय ने अयोग्य करार दिया था। अदालत के फैसले को मानते हुए नवाज़ शरीफ ने प्रधानमंत्री पद से और नेशनल असेंबली(पाकिस्तानी संसद) के सदस्यता से इस्तीफा दिया था।
आपको बतादे, प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नवाज शरीफ ने अपनी पार्टी से शाहिद खाकन अब्बासी को प्रधानमंत्री पद के लिए नामांकित किया था। पिछले महीने अप्रैल में पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और तहरीक-ए-इन्साफ के जनरल सेक्रेटरी जहाँगीर खान तरीन के चुनाव में हिस्सा लेने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया था।
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय बेंच ने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 62(1)(f) के अंतर्गत दोनों नेताओं के चुनाव में हिस्सा लेने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया था।
पाकिस्तान की मौजूदा सरकार का कार्यकाल 30 मई को समाप्त हो रहा हैं, प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी के अनुसार 30 मई को अस्थायी सरकार का गठन किया जाएगा और अस्थायी सरकार के गठन होने के 60 दिनों के अंदर देश में चुनाव कराए जाएँगे। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान नेशनल असेंबली के लिए चुनाव जुलाई के अंत और अगस्त के शुरुवाती दिनों में होंगे।
अयोग्यता के फैसले को चुनौती देने के साथ ही, पूर्व प्रधानमंत्री और सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन के अध्यक्ष नवाज शरीफ ने अपने चुनावी अभियान की शुरुवात की। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रान्त के मनसेहरा में रैली को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने अपने विरोधी और तहरीक-ए-इन्साफ के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार इमरान खान पर आरोपों की तोंप दागी। अयोग्यता को नेशनल असेंबली में साबित करने की बात कही।
नवाज़ शरीफ ने उनके और विरोधी उम्मीदवार इमरान खान, आसिफ अली ज़रदारी के बीच किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा होने से इन्कार किया हैं, उनके मुताबिक शरीफ 2013 के चुनाव में दोनों को हरा चुके हैं और 2018 के चुनाव में भी वे जीत दर्ज करेंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के चुनावी अभियान शुरू करने के कारण विरोधी पार्टियों में संशय का वातावरण हैं। तहरीक-ए-इन्साफ के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार इमरान खान ने नवाज़ शरीफ को पाकिस्तान सेना की मदत हासिल होने की बात कही हैं।
नवाज शरीफ का चुनावी मैदान में फिरसे उतरना जबकि प्रतिबंध अब तक हटा नहीं और तहरीक-ए-इन्साफ का देश भर में रैलियों के द्वारा सरकार की नाकामियाबियों को उजागर करना यह सभी पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता की ओर इशारा करते हैं।
हालांकि, जुलाई में होने वाले चुनाव के बाद सभी सवालों के जवाब मिल जाएँगे। आशा हैं पाकिस्तान में गणतांत्रिक रूप से चुनकर आयी सरकार के कामों में सेना का हस्तक्षेप कम हो, जिससे सरकार जनता के लिए काम कर सके।
भारत के लिए पाकिस्तान का यह चुनाव क्या साथ लाता हैं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। उम्मीद हैं आनेवाली सरकार का रवैय्या भारत की ओर सकारात्मक हो।